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कारगिल युद्ध: जब उत्तराखंड ने सबसे बड़ी कुर्बानी दी, आंखें नम कर देगा ये आंकड़ा

  • bharatvarshsamaach
  • Jul 26
  • 2 min read
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लेखक: भारतवर्ष समाचार

तारीख: 26 जुलाई 2025

विषय: कारगिल विजय दिवस विशेष


1999 – सिर्फ एक युद्ध नहीं, भारत के साहस और बलिदान की गाथा

26 जुलाई का दिन हर भारतीय के दिल में गर्व, श्रद्धा और भावनाओं की लहर पैदा करता है। 1999 में इसी दिन भारत ने कारगिल युद्ध में पाकिस्तान को मात देकर हर ऊंची चोटी पर तिरंगा फहराया था। यह केवल सीमाओं की रक्षा का युद्ध नहीं था, यह भारत की हिम्मत, एकता और बलिदान का प्रतीक बन गया।


ऑपरेशन विजय – 60 दिन, 527 शहीद, तिरंगे की जीत

1999 में पाकिस्तान की सेना और आतंकवादियों ने गुप्त रूप से कारगिल की ऊंची पहाड़ियों पर कब्जा कर लिया था। जवाब में भारत ने चलाया ऑपरेशन विजय, जो लगभग 60 दिनों तक चला।26 जुलाई को भारत ने विजय प्राप्त की, लेकिन इस सफलता की कीमत 527 वीर जवानों की शहादत से चुकानी पड़ी।


कौन राज्य सबसे आगे रहा बलिदान में? उत्तराखंड का सबसे बड़ा योगदान

जब शहादत की बात आती है, तो उत्तराखंड सबसे आगे खड़ा मिलता है।


75 जवान उत्तराखंड से शहीद हुए, जो किसी भी राज्य से सबसे ज्यादा हैं।

इस छोटे से राज्य ने हर जिले से अपने सपूत खोए

गढ़वाल राइफल्स और कुमाऊं रेजिमेंट की भूमिका अद्वितीय रही।

  • गढ़वाल राइफल्स के 47 शहीदों में से 41 उत्तराखंड से थे।

  • कुमाऊं रेजिमेंट के 16 जवान भी शहीद हुए।

उत्तराखंड की 15% आबादी पूर्व सैनिकों की है, जो दर्शाता है कि यह राज्य सेवा और शौर्य की परंपरा से भरा हुआ है।


हिमाचल प्रदेश – दूसरा सबसे बड़ा बलिदान देने वाला राज्य


उत्तराखंड के बाद हिमाचल प्रदेश का नाम आता है, जहां से 52 जवान शहीद हुए।इस राज्य ने हमें दिए ऐसे नायक जिनके नाम भारत की वीरता की किताब में स्वर्णाक्षरों में दर्ज हैं:

  • कैप्टन विक्रम बत्रा – "ये दिल मांगे मोर" कहने वाले शहीद, जिन्हें मरणोपरांत परमवीर चक्र मिला।

  • राइफलमैन संजय कुमार – जिन्हें जीवित रहते परमवीर चक्र मिला।


जीत की कीमत – सिर्फ रुपये नहीं, जवानों की जान


इस युद्ध में भारत ने करीब 5,000 से 10,000 करोड़ रुपये खर्च किए।

अकेले वायुसेना के ऑपरेशन में ही 2000 करोड़ रुपये लगे।

लेकिन सबसे बड़ी कीमत थी हमारे 527 वीर जवानों की अमूल्य शहादत

पाकिस्तान को भी भारी नुकसान हुआ – करीब 3,000 सैनिक मारे गए, हालांकि उसने सिर्फ 357 की पुष्टि की।


निष्कर्ष: शहीदों को नहीं भूलेगा भारत


कारगिल विजय दिवस केवल एक तारीख नहीं है, यह हर उस सैनिक की याद है जो देश की रक्षा के लिए हँसते-हँसते कुर्बान हो गया।उत्तराखंड और हिमाचल जैसे राज्यों ने भारत को वो वीर दिए जिन्होंने इतिहास रचा।

आज जब हम आज़ादी की सांस लेते हैं, तो उसके पीछे 527 दीयों की रोशनी है — जो बुझ कर भी अमर हैं।


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 भारतवर्ष समाचार

 संपर्क: 9410001283

 वेबसाइट: www.bharatvarshsamachar.org


 
 
 

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