काशी विश्वनाथ धाम में श्रावण मास का भव्य शुभारंभ, मंदिर न्यास ने किया त्रि-चरणीय नवाचार
- bharatvarshsamaach
- Jul 11
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रिपोर्ट - नौमेश कुलदीप श्रीवास्तव
स्थान: वाराणसी
पुष्पवर्षा, शिखर आराधना और मां अन्नपूर्णा को अर्पित पुष्प थालों के साथ हुई विशेष शुरुआत
श्रावण मास के प्रथम दिवस पर श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में इस बार परंपरा और नवाचार का अनोखा संगम देखने को मिला। भगवान विश्वनाथ की मंगला आरती के साथ शुरू हुए इस विशेष दिन पर, मंदिर न्यास द्वारा एक त्रि-चरणीय धार्मिक नवाचार उत्साहपूर्वक संपन्न किया गया।
इस विशेष पहल की शुरुआत मंदिर न्यास की कार्यपालक समिति के पदेन अध्यक्ष और वाराणसी के मंडलायुक्त श्री एस. राजलिंगम की प्रेरणा से हुई।
तीन चरणों में हुआ नवाचार, श्रद्धालुओं पर पुष्पवर्षा
इस बार श्रावण मास का पहला दिन शुक्रवार को पड़ा, जो सनातन परंपरा में मातृ शक्ति आराधना का दिन माना जाता है। इसी को ध्यान में रखते हुए इस नवाचार की संरचना की गई। नवाचार को तीन चरणों में विभाजित किया गया:
प्रथम चरण में मंदिर प्रांगण स्थित भगवान विश्वनाथ, भगवान दंडपाणि और भगवान बैकुण्ठेश्वर के तीनों शिखरों के सम्मुख श्रद्धालुओं पर पुष्पवर्षा कर शिखर आराधना की गई।
द्वितीय चरण में मुख्य गर्भगृह से लेकर मंदिर परिसर स्थित भगवान बद्रीनारायण मंदिर तक श्रद्धालुओं पर पुष्पवर्षा की गई, जो हरि-हर परंपरा का प्रतिबिंब था।
तृतीय और अंतिम चरण में माता अन्नपूर्णा को तीन पुष्प थाल अर्पित किए गए। इन थालों में से पुष्प पत्रदल को अक्षत प्रसाद के रूप में दिनभर श्रद्धालुओं को भेंट किया गया।
शिव परंपरा से जुड़ी त्रिविध प्रतीकात्मकता
इस नवाचार में शैव परंपरा की गहराई को आत्मसात किया गया। शिव आराधना में तीन विशेष प्रतीकों — त्रिपुंड, त्रिशूल और त्रिदल बेलपत्र — को महत्व दिया जाता है। यह नवाचार भी उसी त्रैतीय भाव को ध्यान में रखकर तीन चरणों में सम्पन्न किया गया, जो सृजन, संचालन और संहार की शिव शक्ति को दर्शाता है।
प्रशासनिक सहभागिता और श्रद्धालु सेवा
इस अवसर पर मंदिर न्यास के मुख्य कार्यपालक अधिकारी श्री विश्व भूषण, डिप्टी कलेक्टर श्री शम्भू शरण और तहसीलदार श्री मिनी एल. शेखर ने श्रद्धालुओं का स्वागत किया और आयोजन को सफलतापूर्वक संचालित किया।
श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास ने इस नवाचार के माध्यम से यह स्पष्ट संकेत दिया है कि परंपरा और आधुनिक श्रद्धा की समन्वित प्रस्तुति से काशी की आध्यात्मिक गरिमा को और अधिक समृद्ध किया जा सकता है।
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रिपोर्ट: नौमेश कुलदीप श्रीवास्तव
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