डिंपल यादव पर मौलाना साजिद रशीदी की आपत्तिजनक टिप्पणी से देशभर में नाराज़गी – सियासी तूफ़ान तेज़
- bharatvarshsamaach
- Jul 31
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भारतवर्ष समाचार | लखनऊ | 30 जुलाई 2025
लेखक: भारतवर्ष संवाददाता
हाल ही में समाजवादी पार्टी की सांसद डिंपल यादव को लेकर एक मौलाना द्वारा की गई आपत्तिजनक टिप्पणी ने देशभर में राजनीतिक और सामाजिक हलचल मचा दी है। मामला सिर्फ़ एक बयान तक सीमित नहीं रहा, बल्कि संसद, सड़क और सोशल मीडिया तक इसकी गूंज सुनाई दी है।
क्या कहा मौलाना साजिद रशीदी ने?
मौलाना साजिद रशीदी ने एक वायरल वीडियो में डिंपल यादव की मस्जिद में उपस्थिति को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी की, जिसमें उन्होंने कहा कि “वह नंगी बैठी थीं, सिर पर दुपट्टा भी नहीं था।” उनका दावा था कि यह इस्लामिक मर्यादाओं का उल्लंघन है। हालांकि, उन्होंने बाद में कहा कि उनका मकसद किसी की बेइज्जती नहीं था, बल्कि “धार्मिक मूल्यों” की बात की गई थी।
सियासी तूफ़ान: संसद से सड़क तक विरोध
इस बयान पर NDA सांसदों ने संसद भवन में विरोध प्रदर्शन किया। सांसदों ने इसे “महिला गरिमा के खिलाफ़ हमला” करार दिया और मौलाना के खिलाफ़ तत्काल कार्रवाई की मांग की। वहीं, समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने लखनऊ में मौलाना के खिलाफ़ पोस्टर जलाए और सड़कों पर विरोध प्रदर्शन किया।
FIR दर्ज, कानूनी कार्रवाई शुरू
लखनऊ के विभूतिखंड थाने में मौलाना साजिद रशीदी के खिलाफ़ FIR दर्ज की गई है। रिपोर्ट के अनुसार, मामला महिला की गरिमा का हनन, धार्मिक भावनाओं को आहत करने और सार्वजनिक अशांति फैलाने के आरोपों के अंतर्गत दर्ज हुआ है।
डिंपल यादव और इकरा हसन का जवाब
सांसद डिंपल यादव ने इस पूरे मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा,
“महिलाओं के प्रति इस प्रकार की सोच समाज को पीछे ले जाती है। अगर इतनी ही चिंता है तो मणिपुर की महिलाओं के मामले में भी इस तरह की संवेदना क्यों नहीं दिखाई गई?”
वहीं, सपा सांसद इकरा हसन ने बयान की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि ऐसे लोगों का “सामाजिक बहिष्कार” किया जाना चाहिए।
बीजेपी ने अखिलेश यादव को घेरा
भाजपा प्रवक्ता शुभाष यादववंश ने कहा कि
“डिंपल यादव सपा प्रमुख अखिलेश यादव की पत्नी हैं, फिर भी उन्होंने अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। क्या उन्हें अपनी पार्टी के वोटबैंक की चिंता ज़्यादा है या पत्नी के सम्मान की?”
यह सवाल अब विपक्ष के खिलाफ़ खड़ा किया जा रहा है — क्या राजनीति महिलाओं के सम्मान से ऊपर है?
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निष्कर्ष
इस घटना ने न सिर्फ़ राजनीति में दोहर standards को उजागर किया है, बल्कि महिलाओं के सम्मान और धार्मिक स्थल पर शिष्टाचार जैसे गंभीर विषयों को भी चर्चा में ला दिया है। यह स्पष्ट है कि समाज को एक नई सोच और स्पष्ट दिशा की आवश्यकता है, जिसमें महिला गरिमा, धर्मनिरपेक्षता और संवैधानिक मूल्यों का सम्मान हो।
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लेखक: भारतवर्ष समाचार संवाददाता
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