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झाँसी: 200 की आबादी अब भी अंधेरे में, आज़ादी के 75 साल बाद भी नहीं पहुंची बिजली

  • bharatvarshsamaach
  • Sep 26
  • 3 min read
उम्मीद की आस – पंचायत में इकट्ठे होकर सरकार से मांग करते ग्रामीण
उम्मीद की आस – पंचायत में इकट्ठे होकर सरकार से मांग करते ग्रामीण



रिपोर्ट: मोहम्मद कलाम कुरैशी

स्थान : झाँसी, उत्तर प्रदेश |


झाँसी जिले के मऊरानीपुर क्षेत्र की ग्राम पंचायत वीरा के खिरक कंचनवारा गांव की लगभग 200 की आबादी आज भी अंधेरे में जिंदगी जीने को मजबूर है। आज़ादी के 75 साल बाद भी यहां बिजली का खंभा और तार तो दिखते हैं, लेकिन गांव की गलियों में एक बल्ब तक नहीं जलता


लालटेन और दीयों के सहारे गुज़ारा

गांव वालों का कहना है कि जब बाकी देश आधुनिक सुविधाओं की ओर बढ़ रहा है, तब वे अब भी लालटेन और मिट्टी के दीयों के सहारे रातें काटते हैं।

  • खेतों की सिंचाई के लिए किसानों को महंगा डीज़ल खरीदना पड़ता है।

  • घरों में टीवी, कूलर, पंखे जैसी बुनियादी सुविधाएं नहीं हैं।

  • मोबाइल चार्ज करने के लिए ग्रामीणों को रोज़ाना करीब 1 किलोमीटर दूर वीरा गांव जाना पड़ता है।


गांव के एक बुज़ुर्ग ने कहा:

“हमारी पूरी ज़िंदगी अंधेरे में निकल गई। बच्चे आज भी पढ़ाई के लिए लालटेन पर निर्भर हैं।”

महिलाओं की पीड़ा

गांव की महिलाओं ने अपना दर्द जाहिर करते हुए कहा कि शादी के बाद से आज तक उन्होंने गांव में बिजली की रोशनी नहीं देखी।

  • बच्चे अंधेरे में पढ़ाई नहीं कर पाते।

  • गर्मियों में पंखा तक नहीं चल पाता।

  • बुज़ुर्गों और बीमारों को सबसे ज्यादा परेशानी होती है।


एक महिला ने कहा:

“हर चुनाव में वादा किया जाता है कि बिजली आएगी, लेकिन चुनाव खत्म होते ही सब भूल जाते हैं।”

चुनावी वादे और हकीकत

गांव वालों का आरोप है कि हर चुनाव में नेता यहां आकर “बिजली दिलाने” का वादा करते हैं। लेकिन जैसे ही चुनाव खत्म होते हैं, कोई उनकी सुध लेने तक नहीं आता। नतीजा यह है कि गांव आज भी उसी दौर में अटका हुआ है, जब रोशनी का एकमात्र सहारा लालटेन और दीये हुआ करते थे।


किसान कांग्रेस का अल्टीमेटम

गांव की समस्याओं को लेकर मौके पर पहुंचे यूपी किसान कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष शिवनारायण सिंह परिहार ने सरकार और बिजली विभाग पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा:

“गांव के पास से ही 11 हजार वोल्ट की लाइन गुजर रही है। सिर्फ 25 केवी का डीपी लगाकर 48 घंटे में गांव को उजाला दिया जा सकता है। लेकिन विभाग और नेताओं की लापरवाही से ग्रामीण अब तक अंधेरे में जी रहे हैं।”

उन्होंने चेतावनी दी कि अगर 15 दिन के भीतर विद्युतीकरण नहीं हुआ, तो किसान कांग्रेस बिजली विभाग का घेराव करेगी।


पंचायत में गूंजा एक ही स्वर

इस मुद्दे पर पंचायत में सैकड़ों किसान और महिलाएं इकट्ठा हुए। सभी ने एकजुट होकर सरकार से मांग की कि उनके गांव को अब और अंधेरे में न छोड़ा जाए।


एक युवक ने कहा:

“मोबाइल चार्ज करने के लिए रोज़ एक किलोमीटर पैदल जाना पड़ता है। ये डिजिटल इंडिया है या अंधेरे में इंडिया?”

जमीनी सच्चाई

झाँसी जैसे बड़े जिले के अंदर अगर कोई गांव आज भी बिजली रहित है, तो यह सिर्फ खिरक कंचनवारा गांव की समस्या नहीं, बल्कि प्रशासन की लापरवाही की पोल भी खोलता है।जहां एक तरफ सरकार गांव-गांव रोशनी पहुंचाने के दावे कर रही है, वहीं दूसरी तरफ 200 की आबादी वाला यह गांव आज भी अंधेरे में है।


ग्रामीणों की बाईट (आवाज़)

  • “हमारे बच्चे अंधेरे में पढ़ाई करते हैं।”

  • “शादी के बाद से आज तक गांव में बिजली नहीं देखी।”

  • “मोबाइल चार्ज करने के लिए रोज़ पैदल जाना पड़ता है।”


किसान नेता की बाईट

  • “सिर्फ 25 केवी का डीपी लगाकर 48 घंटे में बिजली पहुंचाई जा सकती है।”


सवाल यही है कि क्या इस गांव को अब भी अंधेरे में छोड़ दिया जाएगा या सरकार और विभाग वाकई में गांव को रोशनी देने की ईमानदार कोशिश करेंगे?


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 भारतवर्ष समाचार  ब्यूरो

 संपर्क: 9410001283

 वेबसाइट: www.bharatvarshsamachar.org

 
 
 

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