झांसी की पैरा बैडमिंटन स्वाति ने जीते अंतरराष्ट्रीय पदक, डॉ. संदीप ने किया सम्मानित
- bharatvarshsamaach
- Sep 7
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रिपोर्टर: मोहम्मद कलाम कुरैशी
स्थान : झांसी, उत्तर प्रदेश
झांसी। पैरा खेल विश्व के उन अद्भुत और प्रेरणादायक आयोजनों में से हैं, जिसमें शारीरिक या मानसिक रूप से दिव्यांग खिलाड़ी भाग लेते हैं। इन खेलों का उद्देश्य खिलाड़ियों को अपनी क्षमताओं को प्रदर्शित करने और खेल के माध्यम से समाज में समानता और सम्मान स्थापित करने का अवसर प्रदान करना है।
इसी तरह की प्रतिभाशाली पैरा खिलाड़ी स्वाति, झांसी मंडल के जालौन जनपद स्थित ग्राम अमीटा से हैं। उन्होंने अपनी खेल यात्रा की शुरुआत इंदिरा स्टेडियम जालौन से की।
स्वाति की उपलब्धियां
2022: स्टेट लेवल पर पैरा बैडमिंटन में गोल्ड और सिल्वर मेडल
2024: अंतर्राष्ट्रीय पैरा गेम्स, युगांडा – दो कांस्य पदक
2025: एशियाई चैंपियनशिप, थाईलैंड – उत्कृष्ट प्रदर्शन
2025: युगांडा पैरा बैडमिंटन – गोल्ड, सिल्वर और ब्रॉन्ज मेडल
इन उपलब्धियों के माध्यम से स्वाति ने देश और झांसी मंडल का नाम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रोशन किया।
सम्मान समारोह
स्वाति को उनके शानदार प्रदर्शन पर संघर्ष सेवा समिति कार्यालय में सम्मानित किया गया। इस अवसर पर उन्हें तिलक और माल्यार्पण कर स्वागत, प्रशस्ति चिन्ह भेंट किया गया।
साथ में उपस्थित थे:
बुंदेलखंड विकलांग विकास समिति झांसी अध्यक्ष मोहम्मद शायर
कोषाध्यक्ष अशोक
परिवारजन कमलेश कुमार और शकुंतला देवी
समिति सदस्य और स्थानीय गणमान्य नागरिक संदीप नामदेव, अनुज प्रताप सिंह, नवीन गुप्ता (मंडला अध्यक्ष लायंस क्लब इंटरनेशनल), रवि राय, मनीष गुप्ता, अख्तर खान, शाहरुख खान, सूरज वर्मा, दीक्षा साहू, मुस्कान विश्वकर्मा, राहुल रैकवार, राकेश सेन, सुशांत गुप्ता, वसंत गुप्ता
स्वाति का संदेश
स्वाति ने कहा कि उन्होंने जो भी उपलब्धि हासिल की, उसमें उनके माता-पिता का विशेष योगदान रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि वे भविष्य में पैरा ओलंपिक में भारत का नाम रोशन करने का सपना देखती हैं और इसके लिए कड़ी मेहनत करती रहेंगी।
डॉ. संदीप का संदेश
डॉ. संदीप ने कहा:"पैरा गेम्स केवल शारीरिक शक्ति का प्रदर्शन नहीं हैं, बल्कि यह मानसिक दृढ़ता, धैर्य और हार न मानने की अवधारणा का प्रतीक हैं। हमारे पैरा खिलाड़ी हमें यह सिखाते हैं कि चुनौतियाँ चाहे कितनी भी बड़ी हों, अगर इरादा मजबूत हो तो कुछ भी असंभव नहीं।"
उन्होंने यह भी कहा कि भारत सरकार और पैरालंपिक समिति के प्रयासों से पैरा खेलों को बेहतर समर्थन मिल रहा है, जिससे आने वाले समय में और अधिक सफलता सुनिश्चित है।
डॉ. संदीप ने जोड़ा कि पैरा गेम्स यह संदेश देते हैं कि सीमाएँ केवल मन की होती हैं, और यदि हम दिल से कुछ करने का संकल्प लें तो दुनिया की कोई भी बाधा हमें रोक नहीं सकती।
निष्कर्ष
स्वाति का सम्मान केवल उनके व्यक्तिगत प्रयासों की मान्यता नहीं है, बल्कि यह दिव्यांग खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करने और समाज में उनके योगदान को स्वीकारने का प्रतीक भी है। उनके प्रदर्शन और लगन ने झांसी के लिए गर्व का अवसर पैदा किया है।
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भारतवर्ष समाचार ब्यूरो
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