मांसाहारी दूध व डेयरी उत्पादों के आयात के खिलाफ भाकियू शंकर का विरोध-प्रदर्शन, प्रधानमंत्री को ज्ञापन सौंपा
- bharatvarshsamaach
- Jul 22
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अमरोहा | रिपोर्ट – भारतवर्ष समाचार ब्यूरो
भारत में अमेरिका से मांसाहारी दूध और डेयरी उत्पादों के संभावित आयात को लेकर किसानों में भारी आक्रोश है। इसी क्रम में मंगलवार को भारतीय किसान यूनियन (शंकर) के सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने अमरोहा कलेक्ट्रेट परिसर में जोरदार धरना-प्रदर्शन कर केंद्र सरकार के प्रस्तावित निर्णय का विरोध किया।
प्रदर्शन की अगुवाई कर रहे राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी दिवाकर सिंह ने प्रधानमंत्री को संबोधित ज्ञापन जिलाधिकारी के माध्यम से सौंपा और चेतावनी दी कि अगर सरकार अमेरिका के दबाव में आकर कोई समझौता करती है, तो किसान राष्ट्रव्यापी आंदोलन के लिए बाध्य होंगे।
“यदि यह समझौता हुआ, तो किसान संसद भवन में गायें बांधने को मजबूर होंगे”
चौधरी दिवाकर सिंह ने सभा को संबोधित करते हुए कहा,
"यदि भारत सरकार अमेरिका के दबाव में मांसाहारी दूध या डेयरी उत्पादों का आयात करने का समझौता करती है, तो देश का किसान अपने पशुओं को संसद भवन में बांधकर विरोध दर्ज कराएगा।"
उन्होंने कहा कि अमेरिका, भारत को "नॉनवेज मिल्क" यानी ऐसा दूध, जो मांस और खून से बने चारे के माध्यम से तैयार किया गया हो, का आयात करने के लिए दबाव डाल रहा है। यह न केवल भारतीय धार्मिक मूल्यों, बल्कि कृषि और पशुपालन अर्थव्यवस्था पर भी सीधा प्रहार है।
नुकसान की आशंका और सांस्कृतिक खतरे
प्रदर्शन में वक्ताओं ने कहा कि यदि अमेरिका से यह उत्पाद भारत आए तो:
देसी किसान का दूध कोई नहीं खरीदेगा, क्योंकि अमेरिकी दूध सस्ता होगा और उसमें अधिक मात्रा में घी निकलेगा।
डेयरी, मिठाई, मावा और पनीर उद्योग चौपट हो जाएंगे।
भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था और धार्मिक आस्था पर सीधा प्रहार होगा।
सरकार को सालाना लाखों करोड़ रुपये के नुकसान की संभावना होगी।
एसबीआई के एक सर्वेक्षण का हवाला देते हुए कहा गया कि अगर यह समझौता होता है तो दूध की कीमतों में 20–25% तक गिरावट आएगी, जिससे किसानों को सीधा नुकसान होगा।
ज्ञापन में रखी गई प्रमुख मांगें
भारत सरकार अमेरिका से कोई डेयरी समझौता न करे।
नॉनवेज दूध या उत्पादों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाए।
देशी डेयरी और किसान हित में ठोस नीति बनाई जाए।
सभा में मौजूद रहे प्रमुख किसान नेता
प्रदर्शन के दौरान चौधरी धर्मवीर सिंह, नेमपाल सिंह, विक्रम सिंह पंवार, महिपाल सिंह, कमल सिंह, चमन, चंद्रपाल, जयविन्दर, रमेश, नारायण सिंह, पंकज कुमार, जितेंद्र चौहान, नईम, हरपाल सिंह, अशोक चौधरी, मंजू चौधरी, रीना, सुरेंद्र सिंह, अनिल भटनागर, ओमवीर सिंह यादव, सुधीर चौहान समेत सैकड़ों किसान कार्यकर्ता उपस्थित रहे।
निष्कर्ष
भाकियू शंकर के इस विरोध-प्रदर्शन ने एक बार फिर यह स्पष्ट कर दिया है कि भारतीय किसान न सिर्फ अपने हक, बल्कि देश की संस्कृति और आस्था के लिए भी हर मोर्चे पर लड़ने को तैयार है। अब देखना यह है कि सरकार इस चेतावनी को कितना गंभीरता से लेती है।
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