सम्भल हिंसा की गूंज फिर तेज – “अब हिंदुओं की सुरक्षा ही सबसे बड़ा सवाल”!
- bharatvarshsamaach
- Aug 28
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स्थान : सम्भल, उत्तर प्रदेश
रिपोर्ट : प्रदीप मिश्रा
भारतवर्ष समाचार ब्यूरो |
पिछले साल 24 नवंबर को उत्तर प्रदेश के सम्भल जिले में शाही जामा मस्जिद और हरिहर मंदिर को लेकर हुआ विवाद देखते-देखते भीषण हिंसा में बदल गया था। इस टकराव के दौरान पथराव, आगजनी और तोड़फोड़ की घटनाएं हुई थीं। कई लोग घायल हो गए और हालात इतने बिगड़े कि पूरे क्षेत्र में कर्फ्यू जैसे हालात बन गए थे। इस दौरान हिंदू परिवारों में गहरी असुरक्षा और भय का माहौल पैदा हो गया था।
घटना की गंभीरता को देखते हुए सरकार ने तीन सदस्यीय न्यायिक आयोग का गठन किया था। आयोग ने महीनों तक गवाहों और पीड़ितों के बयान दर्ज करने के बाद अपनी 450 पन्नों की रिपोर्ट मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सौंपी है।
आयोग की रिपोर्ट में क्या निकला सामने?
रिपोर्ट में यह स्पष्ट हुआ कि सम्भल में हिंदुओं की संख्या लगातार घट रही है और सुरक्षा की दृष्टि से हालात बेहद संवेदनशील हो चुके हैं।
स्थानीय नेताओं के बयान
संजय कुमार पोली ने कहा –
“हमने आयोग के सामने जो तथ्य रखे थे, उनका सत्यापन अब हो चुका है। सम्भल में हिंदुओं का लगातार पलायन और आतंकवादी गतिविधियां वास्तविकता हैं। हम मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मांग करते हैं कि यहां के हिंदू समाज की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए।”
सभासद गगन वार्ष्णेय बोले –
“दंगे के बाद से सम्भल से हिंदुओं का पलायन तेज हुआ है। हमारी मांग है कि यहां पुलिस मुख्यालय और पुलिस लाइन की स्थापना की जाए, ताकि सुरक्षा व्यवस्था मजबूत हो।”
संजय शंखधर ने आंकड़े प्रस्तुत करते हुए कहा –“
1948 में सम्भल में हिंदू आबादी करीब 50% थी, जो अब घटकर 15-18% रह गई है। यह आंकड़ा अपने आप सब कुछ कह रहा है। हमने पीएसी की बटालियन और जिला मुख्यालय स्थापित करने की मांग की है।”
जामा मस्जिद कमेटी का पक्ष
वहीं, जामा मस्जिद कमेटी के अधिवक्ता शकील वारसी ने कहा –
“संभल में हिंदुओं की संख्या मुसलमानों के डर से नहीं, बल्कि रोजगार और कारोबार के बेहतर अवसरों की तलाश में अन्य शहरों में जाने से कम हुई है।”
बड़ा सवाल
आयोग की रिपोर्ट और नेताओं के बयानों ने एक बार फिर इस मुद्दे को जिंदा कर दिया है –
क्या सम्भल को वह सुरक्षा कवच मिलेगा, जिसकी मांग हिंदू समाज कई वर्षों से करता आ रहा है?
बाइट्स :
संजय पोली
गगन वार्ष्णेय
संजय शंखधर
शकील वारसी (अधिवक्ता)
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भारतवर्ष समाचार ब्यूरो
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