131 दिन बाद जफर अली की रिहाई से संभल में जश्न का माहौल
- bharatvarshsamaach
- Aug 1
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रिपोर्टर: प्रदीप मिश्रा
संभल — शुक्रवार को संभल शहर में एक खास उत्साह और जोश देखने को मिला। शाही जामा मस्जिद इंतजामिया कमेटी के सदर एडवोकेट जफर अली की 131 दिन बाद जेल से रिहाई होने पर पूरे शहर में जश्न का माहौल बन गया। समर्थकों ने सड़कों पर कतारें लगाकर उनका स्वागत किया। फूलों की बारिश की गई, भव्य आतिशबाज़ी हुई और जुलूस के साथ उन्हें उनके निवास स्थान तक ले जाया गया।
23 मार्च को हिंसा के एक मामले में गिरफ्तार किए गए जफर अली को मुरादाबाद जेल भेजा गया था। शुक्रवार को रिहाई के बाद जब वे संभल लौटे, तो हजारों समर्थकों ने उनका जोशीला स्वागत किया। जफर अली को कंधों पर उठाकर "जफर अली ज़िंदाबाद" के नारे लगाए गए।
जफर अली बोले – "अवाम तय करेगी मेरा रास्ता"
जेल से छूटने के बाद मीडिया से बातचीत में जफर अली ने भावुक अंदाज में कहा,"संभल ही नहीं, पूरे हिंदुस्तान की अवाम ने मेरे लिए दुआ की है। मैं सबका शुक्रगुज़ार हूं कि आज आपके बीच लौट सका हूं। अभी मैं जेल से आया हूं, किसी से कोई मुलाकात नहीं हुई है। आगे क्या करना है, यह अवाम तय करेगी। अगर अवाम कहेगी, तो मैं तैयार हूं। ताक़त ज़रूरी है, शायद मेरे पास ताक़त होती तो मैं जेल में न होता।"
उन्होंने बताया कि जेल में उन्हें किसी विशेष कठिनाई का सामना नहीं करना पड़ा। परिवार के सदस्यों के मिलने से उन्हें मानसिक संबल मिलता रहा।"अल्लाह का लाख-लाख शुक्र है कि हिम्मत नहीं टूटी।"
क्या था मामला?
24 नवंबर 2024 को शाही जामा मस्जिद में सर्वे के दौरान बवाल भड़क उठा था, जिसमें चार लोगों की मौत हो गई थी। इस मामले में पुलिस ने समाजवादी पार्टी के सांसद जियाउर्रहमान बर्क और जामा मस्जिद कमेटी के सदर एडवोकेट जफर अली को मुख्य आरोपी बनाया था। 23 मार्च 2025 को पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर मुरादाबाद जेल भेज दिया था।
रिहाई के बाद संभल में उत्सव जैसा दृश्य
शहर में त्योहार जैसा माहौल बन गया। जगह-जगह मिठाइयाँ बाँटी गईं, ढोल-नगाड़े बजे और देर रात तक शहरवासी जुलूस में शामिल रहे। समर्थकों के लिए यह सिर्फ एक व्यक्ति की रिहाई नहीं, बल्कि उनके हक और हौसले की जीत थी।
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लेखक: भारतवर्ष समाचार संवाददाता
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