आसिम मुनिर की ट्रंप से मुलाकात : ज़िया, मुशर्रफ़ से लेकर मुनिर तक – जब पाकिस्तानी सेना प्रमुख अमेरिकी राष्ट्रपतियों से मिलते हैं
- bharatvarshsamaach
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भारतवर्ष समाचार
18 जून 2025
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप आज व्हाइट हाउस के कैबिनेट कक्ष में पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनिर के साथ एक निजी लंच बैठक में शामिल हो रहे हैं। भले ही आधिकारिक एजेंडा सार्वजनिक नहीं किया गया है, लेकिन सूत्रों के अनुसार क्षेत्रीय सुरक्षा, आतंकवाद विरोधी रणनीति और द्विपक्षीय संबंधों पर चर्चा होना संभावित है। यह मुलाकात पिछले 15 वर्षों में इस स्तर की पहली बैठक है, जो भारत-पाकिस्तान के हालिया टकराव और ईरान में इज़राइली हमले की पृष्ठभूमि में हो रही है।
अमेरिका का बदला रुख: क्या फिर से खुल रहा है पाक के लिए दरवाज़ा?
पूर्ववर्ती ओबामा, बाइडन और ट्रंप के पहले कार्यकाल में अमेरिका ने पाकिस्तान को अलग-थलग कर दिया था, विशेषकर आतंकवाद को कथित समर्थन के आरोपों के चलते। ट्रंप ने पहले कार्यकाल में पाकिस्तान की सैन्य सहायता में 2 अरब डॉलर से अधिक की कटौती की थी। लेकिन मौजूदा वैश्विक संकटों और दक्षिण एशिया में तनाव को देखते हुए अमेरिका अब फिर से पाकिस्तानी सैन्य नेतृत्व के साथ संवाद स्थापित कर रहा है।
सेना प्रमुख की मुलाकातें पाकिस्तान की असली सत्ता की झलक
पाकिस्तान में सेना प्रमुख का पद केवल सैन्य नहीं, बल्कि विदेश नीति, परमाणु कार्यक्रम और सुरक्षा नीतियों में सबसे प्रभावशाली माना जाता है। इसलिए अमेरिकी प्रशासन अक्सर नागरिक सरकार को दरकिनार कर सेना प्रमुखों से सीधे संवाद करता रहा है। इतिहास गवाह है कि हर बार ऐसी मुलाकातें किसी बड़े रणनीतिक मोड़ या वैश्विक संकट के समय ही होती हैं।
इतिहास के कुछ अहम क्षण
• ज़िया-उल-हक़ और शीत युद्ध काल:
1980 के दशक में ज़िया-उल-हक़ ने जिमी कार्टर और रोनाल्ड रीगन जैसे राष्ट्रपतियों से मुलाकात की थी। अफगानिस्तान में सोवियत विरोधी संघर्ष के दौरान पाकिस्तान ने अमेरिकी खेमे में रहकर अहम भूमिका निभाई थी, जिससे उसे भारी सैन्य और आर्थिक सहायता प्राप्त हुई।
• मुशर्रफ़-क्लिंटन के दौर में परमाणु चिंताएं:
1999 में करगिल युद्ध के बाद और सैन्य तख्तापलट के तुरंत बाद जनरल परवेज़ मुशर्रफ़ ने 2000 में तत्कालीन राष्ट्रपति बिल क्लिंटन से मुलाकात की। अमेरिका ने तख्तापलट का विरोध किया, लेकिन क्षेत्रीय स्थिरता बनाए रखने के लिए बातचीत को जारी रखा।
• 9/11 के बाद बुश-मुशर्रफ़ गठबंधन:
2006 में राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू. बुश ने इस्लामाबाद में मुशर्रफ़ से मुलाकात की। अमेरिका ने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में पाकिस्तान की भूमिका को अहम माना और उसे “मेजर नॉन-नाटो एलाय” का दर्जा दिया। इस दौरान 10 अरब डॉलर से अधिक की सहायता दी गई।
• परमाणु सुरक्षा पर गुप्त वार्ताएं:
अमेरिकी चिंताओं को देखते हुए पाकिस्तान के साथ गुप्त स्तर पर परमाणु सुरक्षा को लेकर वार्ताएं शुरू हुईं, जो आगे चलकर द्विपक्षीय भरोसे का एक अहम आधार बनीं।
• बाजवा-ट्रंप की मुलाकात और अफगान रणनीति:
जुलाई 2019 में प्रधानमंत्री इमरान ख़ान के साथ वॉशिंगटन आए जनरल क़मर जावेद बाजवा की ट्रंप से मुलाकात हुई थी। उस समय अमेरिका तालिबान से शांति वार्ता में पाकिस्तान की मदद चाहता था।
2025 में ट्रंप-मुनिर की मुलाकात का मतलब
जनरल आसिम मुनिर की आज की व्हाइट हाउस लंच मीटिंग, भारत-पाक संघर्ष और पश्चिम एशिया में तनाव की स्थिति में अमेरिका की एक नई रणनीति को दर्शाती है। ऐसा माना जा रहा है कि अमेरिका चीन के बढ़ते प्रभाव को संतुलित करने और क्षेत्रीय सुरक्षा सहयोग को फिर से मज़बूत करने के लिए पाकिस्तानी सेना नेतृत्व से सीधे जुड़ रहा है।
व्हाइट हाउस के कैबिनेट रूम में इस निजी बैठक को वैश्विक सुरक्षा के समीकरणों में पाकिस्तान को दोबारा एक अहम खिलाड़ी के रूप में देखने की कोशिश माना जा रहा है।
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