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गंगा दशहरा पर असमोली (संभल) के भैंसोड़ा गांव में शरबत वितरण, राहगीरों को मिली राहत

  • bharatvarshsamaach
  • Jun 5
  • 2 min read


गंगा दशहरा के अवसर पर राहगीरों को शरबत वितरित करते समाजसेवी एवं स्थानीय युवा
गंगा दशहरा के अवसर पर राहगीरों को शरबत वितरित करते समाजसेवी एवं स्थानीय युवा

गंगा दशहरा के अवसर पर राहगीरों को शरबत वितरित करते समाजसेवी एवं स्थानीय युवा
गंगा दशहरा के अवसर पर राहगीरों को शरबत वितरित करते समाजसेवी एवं स्थानीय युवा

असमोली, जनपद संभल (उत्तर प्रदेश), 5 जून 2025गंगा दशहरा जैसे पावन पर्व पर जब श्रद्धा और सेवा का संगम होता है, तब समाज को सकारात्मक ऊर्जा मिलती है। ऐसा ही एक उदाहरण देखने को मिला संभल जिले के असमोली थाना क्षेत्र अंतर्गत ग्राम भैंसोड़ा में, जहां स्थानीय युवाओं और समाजसेवियों ने राहगीरों के लिए शरबत वितरण कार्यक्रम आयोजित किया।

गर्मी के इस तीव्र मौसम में शुद्ध एवं ठंडे शरबत की सेवा से राहगीरों को न केवल ताजगी मिली, बल्कि लोगों में सामाजिक समर्पण की भावना भी जागृत हुई। गंगा दशहरा जैसे पर्व पर इस प्रकार का सेवा कार्य क्षेत्र के लिए प्रेरणास्पद बन गया है।


पर्व और परंपरा से जुड़ती समाजसेवा


गांव के युवाओं ने मिलकर इस सेवा को पूरी निष्ठा और समर्पण के साथ संपन्न किया। इस अवसर पर मुख्य रूप से उपस्थित रहे:

  • सचिन पाल

  • समाजसेवी विनीत पाल

  • विवेक, नितिन, अमित, योगेंद्र, लैविश

  • एवं अन्य ग्रामवासी

इन सभी युवाओं ने मिलकर यह संदेश दिया कि पर्व केवल पूजा-पाठ तक सीमित नहीं रहते, बल्कि सामाजिक सेवा के माध्यम से उनका विस्तार जन-जन तक होना चाहिए।


असमोली की भूमिका


असमोली ब्लॉक व थाना क्षेत्र सामाजिक व सांस्कृतिक रूप से सक्रिय इलाकों में गिना जाता है। जनपद संभल के अंतर्गत आने वाला यह क्षेत्र धार्मिक आयोजनों, पर्यावरणीय गतिविधियों और सामाजिक एकजुटता के लिए पहचाना जाता है। भैंसोड़ा गांव की यह पहल उसी श्रृंखला की एक सशक्त कड़ी है।


निष्कर्ष

गंगा दशहरा जैसे पर्वों को जनसेवा से जोड़ना एक सुंदर परंपरा है, जो आने वाली पीढ़ियों को संस्कार, सेवा और सामाजिक उत्तरदायित्व का पाठ पढ़ाती है। भैंसोड़ा गांव के इन युवाओं का यह प्रयास न केवल सराहनीय है, बल्कि अनुकरणीय भी।

 
 
 

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