तिगरी मेला: पश्चिमी उत्तर प्रदेश का “अर्धकुंभ”, जहां आस्था, परंपरा और एकता का संगम
- bharatvarshsamaach
- Oct 29
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भारतवर्ष समाचार ब्यूरो
दिनांक: 29 अक्टूबर 2025 |
स्थान: तिगरी गंगा धाम, अमरोहा
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के गजरौला ब्लॉक स्थित तिगरी गंगा धाम में लगने वाला ऐतिहासिक तिगरी मेला इस क्षेत्र का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन माना जाता है। इसे श्रद्धालु “अर्धकुंभ” की संज्ञा देते हैं, क्योंकि यहां लाखों की संख्या में श्रद्धालु गंगा स्नान और दीपदान के लिए पहुंचते हैं।
पौराणिक महत्व
धनोरा विधानसभा क्षेत्र में लगने वाला यह मेला त्रेतायुग और महाभारत काल से जुड़ा बताया जाता है। मान्यता है कि श्रवण कुमार अपने नेत्रहीन माता-पिता को तीर्थ यात्रा कराते समय यहां रुके थे, जिससे यह स्थान पवित्र माना गया। वहीं, महाभारत काल में पांडवों ने मृत सैनिकों की आत्मा की शांति के लिए इसी स्थल पर दीपदान किया था। उसी परंपरा को आज भी कार्तिक पूर्णिमा से एक दिन पहले तक निभाया जाता है।
आस्था और आयोजन
हर साल कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर लगने वाले इस मेले में लाखों श्रद्धालु गंगा स्नान के लिए आते हैं। गंगा आरती, दीपदान और धार्मिक अनुष्ठानों में शामिल होकर लोग अपनी आस्था व्यक्त करते हैं।यह मेला धार्मिक आस्था के साथ-साथ सांस्कृतिक और सामाजिक एकता का भी केंद्र है। यहां व्यापारिक स्टॉल, झूले, मनोरंजन और लोककला का प्रदर्शन लोगों को आकर्षित करता है।
ग्रामीणों की भागीदारी
औद्योगिक क्षेत्र गजरौला के अंतर्गत आने वाले इस मेले में प्रदेश के कई जिलों से श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। किसान अपने खेतों में गेहूं की बुवाई पूरी करने के बाद ट्रैक्टर-ट्रॉली से मेला स्थल पर पहुंचते हैं और अस्थायी तंबू लगाकर मेले का आनंद लेते हैं।बूढ़े, जवान और बच्चे – सभी मेले में उत्साहपूर्वक भाग लेते हैं। कई जगहों पर लोग समूह में बैठकर हुक्का गुड़गुड़ाते हुए इस पारंपरिक मेले का आनंद लेते नजर आए।
संदेश और अपील
मेले के आयोजक विपिन सागर ने श्रद्धालुओं से अपील की कि स्नान के दौरान गहरे पानी में न जाएं और अपनी सुरक्षा का ध्यान रखें। उन्होंने कहा कि “यह मेला केवल आस्था का नहीं, बल्कि हमारी संस्कृति और भाईचारे का प्रतीक है। सभी से अनुरोध है कि मेले में गंदगी न करें और इसे स्वच्छ बनाए रखें।”
विपिन सागर ने मेले में आने वाले सभी श्रद्धालुओं का स्वागत करते हुए कहा कि तिगरी मेला पश्चिमी उत्तर प्रदेश का गौरव है, जो आस्था, एकता और परंपरा का प्रतीक बन चुका है।
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भारतवर्ष समाचार ब्यूरो
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