पूर्व मंत्री सत्येंद्र जैन को बड़ी राहत, कोर्ट ने बंद किया करप्शन केस – CBI को नहीं मिला कोई ठोस सुबूत
- bharatvarshsamaach
- Aug 4
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नई दिल्ली | भारतवर्ष संवाददाता
दिल्ली सरकार में लंबे समय तक मंत्री पद संभाल चुके सत्येंद्र जैन को भ्रष्टाचार के एक पुराने मामले में बड़ी राहत मिली है। राउज एवेन्यू स्थित विशेष अदालत ने उनके खिलाफ सीबीआई द्वारा दायर क्लोज़र रिपोर्ट को मंज़ूरी दे दी है। कोर्ट का कहना है कि वर्षों की लंबी जांच के बावजूद भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम या किसी अन्य कानून के तहत कार्यवाही योग्य कोई ठोस साक्ष्य नहीं मिले हैं।
कोर्ट ने क्या कहा?
विशेष न्यायाधीश दिगविनय सिंह ने स्पष्ट किया कि:
"जांच के बाद उपलब्ध सामग्री आरोपों को प्रमाणित नहीं कर पाई। बिना किसी ठोस सबूत के आगे की कार्यवाही न्यायिक समय और संसाधनों की बर्बादी होगी।"
अदालत ने यह भी जोड़ा कि यदि किसी सार्वजनिक पद पर बैठे व्यक्ति की कर्तव्य की उपेक्षा हो भी जाए, तब भी जब तक कोई प्रत्यक्ष लाभ या रिश्वत का प्रमाण न हो, तब तक उसे भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के दायरे में नहीं लाया जा सकता।
मामला क्या था?
यह केस वर्ष 2018 में दिल्ली सरकार के सतर्कता निदेशालय की शिकायत के आधार पर शुरू हुआ था। आरोप था कि:
सत्येंद्र जैन ने लोक निर्माण विभाग (PWD) में नियमों को दरकिनार कर सलाहकारों की "क्रिएटिव टीम" बनाई
यह भर्ती प्रक्रिया मानक नियमों के विपरीत थी और इसके लिए वित्त विभाग से कोई स्वीकृति नहीं ली गई थी
बारापुला फेज-3 परियोजना में इस टीम से संबंधित अनियमित भुगतान भी किए गए
हालांकि चार वर्षों की जांच के बावजूद सीबीआई को ना तो कोई घोटाला, ना ही रिश्वत, और ना ही किसी व्यक्तिगत लाभ के प्रमाण मिल सके।
CBI की स्थिति
सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट में कहा गया है कि:
किसी भी नियुक्ति में जानबूझकर लाभ पहुंचाने की मंशा साबित नहीं हुई
वित्तीय अनियमितता की बातों को पुष्टि योग्य दस्तावेज़ों से नहीं जोड़ा जा सका
जांच के दौरान न तो कोई लेन-देन का प्रमाण मिला, न ही निजी फायदा लेने की मंशा
आगे की राह?
अदालत ने रिपोर्ट स्वीकार करते हुए एक अहम टिप्पणी भी की —यदि भविष्य में इस मामले में कोई नई ठोस जानकारी या सबूत सामने आते हैं, तो CBI को पुनः जांच शुरू करने और उपयुक्त कानूनी कार्रवाई करने की स्वतंत्रता दी गई है।
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लेखक: भारतवर्ष समाचार संवाददाता
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