मुरादाबाद में ‘अशोक सभा’: जलते शरीर में भी चेतना की विजय, भारती दृष्टा बनी रहीं
- bharatvarshsamaach
- Oct 25
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लोकेशन: मुरादाबाद
संवाददाता: मनोज कुमार
दिनांक: 25 अक्टूबर 2025
आज मुरादाबाद में आयोजित ‘अशोक सभा’ ने एक अद्वितीय आध्यात्मिक संदेश को जीवन में उतारते हुए उपस्थित लोगों के हृदयों को झकझोर दिया। सभा में श्रीमद्भगवद्गीता का दिव्य संदेश गूँजा — “अशोक रहना तेरा धर्म है, यानी न जन्म है, न मृत्यु है।”
इस सभा में भारती की अद्भुत यात्रा और उनकी स्थिरता का अनुभव हुआ। 11 दिन तक शरीर का 70% हिस्सा जलने के बावजूद भारती ने अपने चेतन स्वरूप को कभी नहीं छोड़ा। उन्होंने यह दिखाया कि जब चेतना जाग्रत हो जाती है, तब शरीर का कष्ट उसे भौतिक रूप से प्रभावित नहीं कर सकता।
सभा की शुरुआत मौन ध्यान और ‘आनंद आयो रे’ भजन से हुई, वही भजन जिसे भारती ने अपनी अंतिम साँस तक गाया। इस दौरान उपस्थित शिष्यों ने भारती की स्थिति को अद्वितीय माना, जो जलते शरीर में भी साक्षी बनी रहीं और पूरी तरह स्थितप्रज्ञ रही।
MAAsterG ने सभा में कहा — “अद्वैत अवस्था वही है जहाँ दूसरा नहीं बचता। जहाँ दर्द भी बाहर रह जाता है। भारती ने उस अवस्था को पाया। जलते शरीर में भी उसने कहा — ‘मैं शरीर नहीं हूँ।’ यही सच्ची मुक्ति है। उन्होंने हमें दिखाया कि जीवन और मृत्यु दोनों ही अनुभव और चेतना के माध्यम से समझे जा सकते हैं।”
सभा में उपस्थित लोगों ने सामूहिक रूप से संकल्प लिया कि वे भी अपने जीवन में ‘आर्ट ऑफ डाइंग’ का अनुभव जीवित करेंगे — जागृत होकर, साक्षी बनकर और अशोक की तरह स्थितप्रज्ञ रहकर।
MAAsterG, जिन्होंने 2007 में आत्मबोध प्राप्त किया, पिछले 18 वर्षों से लाखों लोगों को जीवन, मृत्यु और आत्मज्ञान का समन्वित दृष्टिकोण सिखा रहे हैं। उनका मिशन है — “Mission 800 crores”, यानी दुनिया के हर अंतिम व्यक्ति तक स्थायी आनंद और आंतरिक शांति पहुँचाना।
संक्षेप में: मुरादाबाद की यह अशोक सभा केवल एक आध्यात्मिक आयोजन नहीं थी, बल्कि चेतना की विजय, शरीर के कष्टों पर नियंत्रण और आत्मा के अमर तत्व की अनुभूति का प्रतीक बन गई।
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भारतवर्ष समाचार ब्यूरो
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