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रथ पर सवार होकर निकले भगवान जगन्नाथ, काशी में लक्खा मेले की हुई शुरुआत

  • bharatvarshsamaach
  • Jun 27
  • 1 min read

वाराणसी // नौमेश कुलदीप श्रीवास्तव की रिपोर्ट


शिव की नगरी काशी एक बार फिर भक्तिमय हो उठी है। भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा रथ पर सवार होकर नगर भ्रमण पर निकले हैं। इसी के साथ करीब 250 वर्षों से चली आ रही ऐतिहासिक रथयात्रा और लक्खा मेले की शुरुआत हो गई है।

तीन दिनों तक लाखों श्रद्धालु रथ पर विराजमान भगवान के दर्शन करेंगे। मान्यता है कि अज्ञातवास के पंद्रह दिन बाद जब भगवान जगन्नाथ नगर में दर्शन देते हैं, तो भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं।


काशी की यह रथयात्रा भले ही आकार में पुरी जैसी न हो, लेकिन श्रद्धा और आस्था के लिहाज़ से किसी से कम भी नहीं। यही कारण है कि इसे "काशी की पूरी" भी कहा जाता है।


(बाइट - पुजारी जी)"भगवान जगन्नाथ का यह वार्षिक रथयात्रा पर्व अत्यंत पावन होता है। अज्ञातवास के बाद जब भगवान नगर में दर्शन देते हैं, तो भक्तों का उत्साह देखने लायक होता है।"


(बाइट - बृजेश सिंह, पूर्व एमएलसी)"यह परंपरा हमारी आस्था और संस्कृति का प्रतीक है। पीढ़ियों से यह रथयात्रा लोगों को जोड़ती आई है।"


(बाइट - विशाखा तिवारी, भारतवर्ष समाचार के लिए)"काशी की ये रथयात्रा सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि आस्था, परंपरा और लोक संस्कृति का जीवंत उदाहरण है।"


 
 
 

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