top of page

"रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के दौरान भव्य मंदिर के गर्भगृह में पूजन करते आचार्य और सेवक।"

  • bharatvarshsamaach
  • Jun 6
  • 2 min read

"रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के दौरान भव्य मंदिर के गर्भगृह में पूजन करते आचार्य और सेवक।"
"रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के दौरान भव्य मंदिर के गर्भगृह में पूजन करते आचार्य और सेवक।"


राम मंदिर में अब तक लगा 45 किलो शुद्ध सोना, दिसंबर तक पूरे होंगे परिसर के बाकी कार्य


अयोध्या में भगवान श्रीराम के भव्य मंदिर का निर्माण अब अंतिम चरणों में है। रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा के बाद अब एक नई और अहम जानकारी सामने आई है — मंदिर में अभी तक कुल 45 किलोग्राम सोना लगाया जा चुका है। यह जानकारी राम मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेन्द्र मिश्रा ने साझा की है।


भव्यता का प्रतीक बना श्रीराम मंदिर


राम मंदिर की वास्तुकला और शिल्प कला अपने आप में अद्वितीय है। नृपेन्द्र मिश्रा के अनुसार, मंदिर में उपयोग किया गया सोना 100% शुद्धता वाला है और इसका अनुमानित मूल्य करीब ₹50 करोड़ है (टैक्स हटाकर)। यह सोना मुख्य रूप से:

  • सिंहासन (जहां भगवान राम की मूर्ति स्थापित है)

  • भूतल के सभी प्रवेश द्वारों

  • और शेषावतार मंदिर की सजावट में उपयोग किया जा रहा है


परिसर के बाकी हिस्सों का कार्य दिसंबर 2025 तक होगा पूर्ण

राम मंदिर का मुख्य ढांचा बनकर तैयार हो चुका है, लेकिन मंदिर परिसर से जुड़ी अन्य सुविधाओं जैसे संग्रहालय, सभागार, और अतिथि भवन का निर्माण कार्य अभी जारी है। निर्माण समिति का कहना है कि ये सभी प्रोजेक्ट दिसंबर 2025 तक पूर्ण हो जाएंगे।


दर्शन व्यवस्था में बदलाव, पास होंगे आवश्यक

राजा राम के दरबार में दर्शन को लेकर फिलहाल सीमित व्यवस्था है। नृपेन्द्र मिश्र ने बताया कि दर्शन व्यवस्था को सुव्यवस्थित करने के लिए निःशुल्क पास सिस्टम लागू किया जाएगा। इसका उद्देश्य भक्तों की भीड़ को नियंत्रित रखना और उन्हें सुगम दर्शन का अनुभव देना है।


तीर्थनगरी अयोध्या को वैश्विक स्तर पर तैयार किया जा रहा

राम मंदिर के निर्माण के बाद अयोध्या की पहचान एक वैश्विक धार्मिक स्थल के रूप में होने लगी है। देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में भारी वृद्धि देखी जा रही है। इसके मद्देनजर रेलवे स्टेशन, एयरपोर्ट, सड़क नेटवर्क, और होटल जैसी सुविधाओं को तेजी से अपग्रेड किया जा रहा है।


निष्कर्ष

राम मंदिर का निर्माण न केवल एक धार्मिक आस्था का विषय है, बल्कि यह भारत की संस्कृति, कारीगरी और एकता का प्रतीक बनकर उभरा है। सोने से सजे द्वार और सिंहासन इसकी भव्यता को दर्शाते हैं, वहीं सुविधाजनक दर्शन और आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर इसे 21वीं सदी का एक विश्वस्तरीय तीर्थस्थल बना रहे हैं।


 
 
 

Comments


Top Stories

bottom of page