श्रीसंतेश्वर लिंगन्नैया भैरप्पा: एक महान लेखक और सांस्कृतिक योद्धा की शत-श्रद्धांजलि
- bharatvarshsamaach
- Oct 3
- 3 min read

लेखक: गौरव मिश्रा, अधिवक्ता
भारतवर्ष समाचार ब्यूरो |
भारतीय साहित्य और संस्कृति के इतिहास में कुछ नाम ऐसे होते हैं, जिनकी लेखनी केवल साहित्यिक ही नहीं बल्कि राष्ट्रीय चेतना को भी जागृत करती है। श्रीसंतेश्वर लिंगन्नैया भैरप्पा, जिन्हें प्यार से बी.एल. भैरप्पा कहा जाता है, ऐसे ही महान साहित्यकार थे। उनका जाना केवल कन्नड़ साहित्य की ही क्षति नहीं, बल्कि भारतीय सांस्कृतिक और राष्ट्रीय पहचान के एक स्तंभ का क्षय है।
साहित्यिक योगदान और उपलब्धियां
भैरप्पा ने अपने जीवनकाल में साहित्य की दुनिया में अद्वितीय छाप छोड़ी। उन्हें केंद्रीय साहित्य अकादमी पुरस्कार, सरस्वती सम्मान, पद्मश्री और पद्मभूषण सहित दर्जनों पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। उनकी बहुचर्चित किताब “आवरण” रिलीज होते ही सोल्ड आउट हो गई और केवल पांच महीनों में दस बार पुनर्मुद्रित हुई।
उन्होंने 24 से अधिक उपन्यासों की रचना की, जिनमें से कई विदेशी विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रम में शामिल हैं। उनकी किताबों पर फ़िल्में और नाटक भी मंचित हुए। भैरप्पा ने दशकों तक बेस्टसेलर बने रहकर यह सिद्ध किया कि साहित्य केवल शब्दों का खेल नहीं, बल्कि समाज और संस्कृति को जगाने का माध्यम है।
विचारधारा: सच्चा राष्ट्रवादी और सांस्कृतिक योद्धा
भैरप्पा केवल लेखक नहीं थे, वे एक सांस्कृतिक योद्धा थे। उनकी लेखनी ने भारतीय इतिहास, संस्कृति और धर्म के विकृत चित्रण के खिलाफ आवाज उठाई। वे हमारे पूर्वाग्रहों पर चोट करके हमारी सामूहिक चेतना को सतत जागृत करते रहे। उनके विचार और आलोचना मुख्य रूप से इन बिंदुओं पर केंद्रित रहे:
आर्यन इनवेज़न थ्योरी का खंडन:
भैरप्पा ने इसे औपनिवेशिक और मार्क्सवादी इतिहासकारों की साजिश बताया, जो हिंदू संस्कृति को विभाजित करने का प्रयास थे। उनका कहना था कि यह थ्योरी हड़प्पा सभ्यता और वैदिक संस्कृति के बीच की ऐतिहासिक संबंधों को तोड़कर धार्मिक भेदभाव बढ़ाती है
मार्क्सवादी इतिहास लेखन और सेकुलर पूर्वाग्रह:
भैरप्पा ने नेहरूवादी-मार्क्सवादी इतिहासकारों की आलोचना की, जिन्होंने इस्लामी आक्रमणों को ‘सामंती संघर्ष’ के रूप में पेश किया और हिंदू पीड़ाओं को नजरअंदाज किया।
टीपू सुल्तान की छवि:
“आवरण” उपन्यास में भैरप्पा ने टीपू सुल्तान को धार्मिक कट्टरपंथी के रूप में प्रस्तुत किया और मंदिर विध्वंस व जबरन धर्मांतरण के ऐतिहासिक प्रमाण पेश किए।
जबरन धर्म परिवर्तन:
उन्होंने इस्लामी शासनकाल में महिलाओं पर धर्म परिवर्तन के सामाजिक दबाव और यौन हिंसा को उजागर किया।
मंदिर विध्वंस और राम मंदिर/बाबरी मस्जिद विवाद:
भैरप्पा ने काशी विश्वनाथ मंदिर पर ज्ञानवापी मस्जिद के निर्माण को उदाहरण देते हुए हिंदू तीर्थस्थलों पर आक्रमण के ऐतिहासिक प्रमाण पेश किए और हिंदू साइटों की पुनर्स्थापना को न्यायपूर्ण माना।
गौ वध पर दृष्टिकोण:
उन्होंने हिंदू परंपरा में गाय की पवित्रता और सांस्कृतिक महत्व को बनाए रखने का पक्ष लिया। उनके अनुसार, गौ-हत्या को आधुनिकता या प्रगति से जोड़ना सांस्कृतिक विनाश को बढ़ावा देता है।
सत्य और निष्पक्षता के प्रति प्रतिबद्धता
भैरप्पा का मानना था कि लेखक का धर्म केवल सत्य के प्रति निष्ठावान होना है, न कि किसी विचारधारा के प्रति। उनका कथन है:
“इतिहास पढ़ने का उद्देश्य किसी का उपहास करना या बदनाम करना नहीं होना चाहिए। इतिहास का अध्ययन हमें ईमानदारी और निष्पक्षता से अपने पूर्वजों के अधिकारों और गलतियों को समझने में मदद करता है, ताकि हम वर्तमान और भविष्य को आकार दे सकें।”
उन्होंने अपने लेखन में बार-बार यह संदेश दिया कि भारत केवल राजनीतिक सीमाओं का नाम नहीं है, बल्कि यह एक सांस्कृतिक राष्ट्र है जिसकी आत्मा वेदों, उपनिषदों, गीता और परंपराओं में बसी है।
पुरस्कार और सम्मान
2023 में उन्हें पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया। भैरप्पा ने इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की निडर सोच और भारतीय संस्कृति के प्रति प्रतिबद्धता के रूप में स्वीकार किया। सांसद तेजस्वी सूर्या ने भी उन्हें “भारत के महानतम उपन्यासकारों में से एक” करार दिया।
समापन
बी.एल. भैरप्पा केवल लेखक नहीं थे, वे भारतीय संस्कृति और इतिहास के संरक्षक थे। उनकी लेखनी आज भी हमारे हृदय में गूंजती है, हमारी राष्ट्रीय चेतना को जगाती है और हमें हमारी सांस्कृतिक जड़ों से जोड़ती है।
उनकी विचारधारा और साहित्यिक प्रतिबद्धता हमें यह सीख देती है कि भारत की असली ताकत उसकी संस्कृति और परंपराओं में निहित है। भैरप्पा की लेखनी हमें आत्मविश्वास देती है और हमारे युवा पीढ़ी को प्रेरित करती है कि वे अपनी जड़ों और इतिहास को जानें और उसका सम्मान करें।
बी.एल. भैरप्पा: एक ऐसा लेजेंड, जिनकी लेखनी और विचार भारतीय राष्ट्र की आत्मा का अविभाज्य हिस्सा हैं।
⸻
भारतवर्ष समाचार ब्यूरो
संपर्क: 9410001283
वेबसाइट: www.bharatvarshsamachar.org

















Comments