संभल मस्जिद-मंदिर विवाद: अदालत में सुनवाई जारी, 21 जुलाई को अगली पेशी तय
- bharatvarshsamaach
- Jul 3
- 2 min read
रिपोर्टर – प्रदीप मिश्रा
स्थान – संभल | भारतवर्ष समाचार
उत्तर प्रदेश के संभल जनपद में स्थित शाही जामा मस्जिद बनाम हरिहर मंदिर विवाद लगातार गरमाता जा रहा है। चंदौसी स्थित सिविल कोर्ट में चल रही इस संवेदनशील सुनवाई में अब एक और मोड़ आ गया है। अदालत ने इस बहुचर्चित मामले की अगली सुनवाई की तारीख 21 जुलाई 2025 तय की है।
विवाद की पृष्ठभूमि
संभल के पुराने शहर में स्थित शाही जामा मस्जिद को लेकर हिंदू पक्ष का दावा है कि यह स्थल ऐतिहासिक रूप से हरिहर मंदिर था, जिसे बाद में मस्जिद में बदला गया। वहीं मुस्लिम पक्ष का कहना है कि यह मस्जिद सैकड़ों वर्षों से धार्मिक स्थली के रूप में मौजूद है और इसमें किसी भी प्रकार का परिवर्तन इतिहास के साथ अन्याय होगा।
हाईकोर्ट और ट्रायल कोर्ट की भूमिका
इस मामले में बड़ा कानूनी मोड़ तब आया जब इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट द्वारा दिए गए सर्वे के आदेश को सही ठहराया। इसके साथ ही मुस्लिम पक्ष द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया गया। इस फैसले के बाद ट्रायल कोर्ट में फिर से सुनवाई शुरू हुई और अब अदालत ने 21 जुलाई की तारीख तय की है।
सर्वे और हिंसा: 2023 की बड़ी घटना
24 नवंबर 2023 को मस्जिद परिसर में कोर्ट द्वारा निर्धारित सर्वे की कार्रवाई हुई, लेकिन इस दौरान भारी हिंसा भड़क उठी।
4 लोगों की मृत्यु हुई
29 पुलिसकर्मी घायल हुए
राज्य सरकार ने SIT गठित की
SIT ने अब तक:
96 आरोपियों को जेल भेजा
2750 अज्ञात लोगों पर एफआईआर दर्ज की
1100 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की, जिसमें 22 लोगों को नामजद किया गया
चार्जशीट में समाजवादी पार्टी के सांसद जियाउर्रहमान बर्क को मुख्य आरोपी बनाया गया है, जबकि सुहैल इकबाल को जांच में बाहर रखा गया है।
ताजा याचिका और नई मांग
हाल ही में हिंदूवादी नेता सिमरन गुप्ता ने अदालत में एक नई याचिका दायर की है, जिसमें मस्जिद में नमाज पढ़ने पर अस्थायी रोक लगाने की मांग की गई है। याचिकाकर्ता का तर्क है कि जब तक स्थल की धार्मिक स्थिति स्पष्ट नहीं हो जाती, तब तक किसी भी धार्मिक गतिविधि की अनुमति न्यायिक प्रक्रिया को प्रभावित कर सकती है। उन्होंने यह भी मांग की है कि मस्जिद को सील कर जिलाधिकारी की निगरानी में रखा जाए।
दोनों पक्षों की राय
निष्कर्ष
संभल का यह मामला अयोध्या और काशी की तर्ज पर एक और ऐतिहासिक धार्मिक विवाद के रूप में उभर रहा है। जबकि अदालत इस मामले में तथ्यों और साक्ष्यों के आधार पर निर्णय लेगी, समाज में इससे उत्पन्न हो रहे तनाव और प्रभाव को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। अब पूरा प्रदेश 21 जुलाई की सुनवाई पर निगाहें लगाए बैठा है।
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रिपोर्टर: प्रदीप मिश्रा
भारतवर्ष समाचार
संपर्क: 9410001283
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