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संभल में प्रशासन की सख्त कार्रवाई: हातिम सराय में तालाब की ज़मीन पर बने 80 मकानों और मस्जिद को नोटिस

  • bharatvarshsamaach
  • Oct 7
  • 4 min read

Updated: Oct 8


तालाब की ज़मीन पर बने 80 मकानों और मस्जिद को नोटिस
तालाब की ज़मीन पर बने 80 मकानों और मस्जिद को नोटिस


 रिपोर्ट: प्रदीप मिश्रा

स्थान: हातिम सराय, सदर तहसील, संभल

भारतवर्ष समाचार ब्यूरो |


संभल — उत्तर प्रदेश के संभल ज़िले में अवैध कब्जों के खिलाफ प्रशासन ने सख्त रुख अपनाते हुए ऐतिहासिक कदम उठाया है। सदर तहसील क्षेत्र के मोहल्ला हातिम सराय में तालाब की भूमि पर किए गए अवैध निर्माणों पर प्रशासन ने शिकंजा कस दिया है। जांच में सामने आए करीब 8 बीघा तालाब की भूमि पर बने 80 से अधिक मकानों और एक बड़ी मस्जिद को अब नोटिस जारी किया गया है।


प्रशासन का कहना है कि तालाब की ज़मीन पर बीते 12–13 सालों में भूमाफियाओं द्वारा अवैध प्लॉटिंग कर भोले-भाले लोगों को बेचा गया, जिससे कई परिवार इस अवैध खरीद-फरोख्त की चपेट में आ गए। अब तहसील प्रशासन ने सभी को 15 दिन का नोटिस जारी कर दस्तावेज़ प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है, अन्यथा बुलडोजर की कार्यवाही तय है।


तहसील प्रशासन का सख्त निर्देश:

तहसीलदार धीरेंद्र प्रताप सिंह के नेतृत्व में राजस्व विभाग और पुलिस टीम ने हातिम सराय पहुंचकर निरीक्षण किया। इस दौरान जिन मकानों और ढाँचों का निर्माण तालाब की ज़मीन पर पाया गया, उन पर लाल निशान लगाकर नोटिस चस्पा किए गए।


तहसीलदार धीरेंद्र प्रताप सिंह ने कहा,

“तालाब की भूमि सरकारी संपत्ति है, इस पर कोई भी व्यक्ति, संस्था या धार्मिक संगठन कब्ज़ा नहीं कर सकता। हमने नोटिस जारी कर दिया है, और यदि 15 दिनों के भीतर कोई वैध दस्तावेज़ नहीं दिया गया तो विधिक प्रक्रिया के तहत सभी अवैध निर्माणों को ध्वस्त किया जाएगा — चाहे वह मकान हों या मस्जिद।”

उन्होंने स्पष्ट किया कि प्रशासन की कार्रवाई पूरी तरह कानूनी और पारदर्शी प्रक्रिया के तहत की जा रही है।


मस्जिद भी कार्रवाई की जद में

मामले का सबसे संवेदनशील पहलू यह है कि तालाब की भूमि पर बनी मस्जिद भी प्रशासन की कार्रवाई के दायरे में आ गई है। जब राजस्व टीम ने मस्जिद स्थल पर पहुंचकर पूछताछ की, तो किसी व्यक्ति ने भी मस्जिद का मुतवल्ली (प्रबंधन जिम्मेदार) होने का दावा नहीं किया।


तहसीलदार ने बताया,

“मस्जिद पर भी वैधानिक प्रक्रिया के तहत नोटिस चस्पा किया गया है। अगर मस्जिद समिति या कोई भी व्यक्ति मान्य दस्तावेज़ नहीं प्रस्तुत करता, तो इस संरचना पर भी वैधानिक कार्रवाई की जाएगी।”

इस कदम के बाद क्षेत्र में मजहबी और सामाजिक स्तर पर हलचल मच गई है, हालांकि तहसील प्रशासन ने साफ कर दिया है कि धार्मिक भावनाओं का सम्मान रखते हुए भी कानून से समझौता नहीं किया जाएगा।


भूमाफिया और बिचौलियों की साजिश

प्रशासनिक जांच में सामने आया है कि भूमाफियाओं ने तालाब की भूमि पर फर्जी कागज़ात तैयार कर उसे छोटे-छोटे प्लॉटों में बाँट दिया और भोले-भाले लोगों को बेच डाला। कई परिवारों ने अपनी जीवनभर की जमा पूंजी लगाकर इन प्लॉटों पर मकान बना लिए। अब, जब सच्चाई सामने आई, तो उनकी नींद उड़ गई है।


तहसील प्रशासन ने कहा कि ऐसे लोगों के हितों की रक्षा के लिए जांच जारी है, ताकि जिन लोगों ने धोखे से जमीन खरीदी है, उन्हें न्याय मिल सके।


15 दिन का अल्टीमेटम

तहसीलदार ने साफ कहा है कि 15 दिनों के भीतर दस्तावेज़ प्रस्तुत नहीं किए गए तो संबंधित सभी ढाँचों को ध्वस्त किया जाएगा। इसमें कोई रियायत या अपवाद नहीं होगा।

“हमने 15 दिन का मौका दिया है। अगर इस दौरान कोई वैध कागज़ नहीं मिला, तो तालाब की भूमि पर बने सभी निर्माण बुलडोज़र के दायरे में आएंगे,” — तहसीलदार धीरेंद्र प्रताप सिंह।

सूत्रों के मुताबिक, प्रशासन ने इस कार्रवाई के लिए लेखपालों की विशेष जांच टीम गठित कर दी है, जो दस्तावेज़ों का सत्यापन करेगी और रिपोर्ट तहसील प्रशासन को सौंपेगी।


प्रशासनिक कार्रवाई से इलाके में मचा हड़कंप

जैसे ही प्रशासन की नोटिस कार्रवाई की खबर फैली, हातिम सराय इलाके में अफरा-तफरी का माहौल बन गया। लोग अपने दस्तावेज़ लेकर तहसील का चक्कर लगाने लगे हैं, जबकि कुछ परिवारों में डर है कि कहीं उनका घर भी बुलडोजर की जद में न आ जाए।


कई स्थानीय लोगों ने प्रशासन से राहत की अपील की है, वहीं प्रशासन ने कहा कि “जो वैध हैं उन्हें डरने की ज़रूरत नहीं, केवल अवैध कब्जाधारी ही निशाने पर हैं।


SP सांसद और विधायक के गढ़ में प्रशासन की सख्ती

गौरतलब है कि हातिम सराय इलाका समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेताओं — सांसद ज़ियाउर्रहमान बर्क और विधायक इकबाल महमूद — का राजनीतिक गढ़ माना जाता है। ऐसे में इस प्रशासनिक कार्रवाई के राजनीतिक मायने भी निकाले जा रहे हैं।

राजनीतिक गलियारों में इस कदम को लेकर कानून बनाम राजनीति की जंग की चर्चाएँ तेज हैं।


निष्कर्ष: “कानून सबके लिए बराबर” — प्रशासन का दो टूक संदेश

प्रशासन का रुख साफ है — चाहे धार्मिक स्थल हो या निजी मकान, तालाब की भूमि पर अवैध कब्ज़ा किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। तहसीलदार धीरेंद्र प्रताप सिंह ने कहा,

“कानून सबके लिए बराबर है। अवैध कब्जे करने वाले लोगों को किसी भी स्थिति में राहत नहीं मिलेगी। प्रशासन की यह कार्रवाई जनता के हित में और न्याय की स्थापना के लिए है।”

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 भारतवर्ष समाचार  ब्यूरो

 संपर्क: 9410001283

 वेबसाइट: www.bharatvarshsamachar.org

 
 
 

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