संभल में बड़ा हादसा: वंदन योजना के तहत बन रहा यमतीर्थ द्वार गिरा, लोगों ने जताया विरोध
- bharatvarshsamaach
- Oct 10
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तारीख: 10 अक्टूबर 2025
रिपोर्ट: प्रदीप मिश्रा | संभल, उत्तर प्रदेश
हादसे ने उठाए बड़े सवाल
उत्तर प्रदेश के संभल ज़िले में करोड़ों की लागत से चल रहे मुख्यमंत्री वंदन योजना के तहत निर्माण कार्य पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।दरअसल, हल्लू सराय स्थित प्रसिद्ध यमतीर्थ का मुख्य द्वार शुक्रवार को अचानक भरभरा कर गिर गया, जिससे स्थानीय लोगों और श्रद्धालुओं में हड़कंप मच गया।
पालिका प्रशासन के अनुसार, इस परियोजना की लागत करीब सवा करोड़ रुपये है और अब तक 75 प्रतिशत कार्य पूरा किया जा चुका था। लेकिन इस हादसे ने निर्माण की गुणवत्ता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
कैसे हुआ हादसा?
सूत्रों के अनुसार, निर्माण स्थल पर मिट्टी बिछाने के दौरान इस्तेमाल हो रहे एक डंपर ने द्वार को हल्का सा टच किया।मात्र एक झटका लगते ही पूरा मुख्य द्वार गिर गया।घटना के बाद वहां मौजूद लोगों में अफरातफरी मच गई। सौभाग्य से कोई घायल नहीं हुआ।
स्थानीय लोगों का आरोप:
स्थानीय निवासियों ने प्रशासन और निर्माण एजेंसी पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
“अगर द्वार को मजबूती से बनाया गया होता, तो मामूली टच से नहीं गिरता। यहां घटिया ईंट और सीमेंट का इस्तेमाल किया गया है।”— रामफल, स्थानीय निवासी
“हमने कई बार देखा कि मिट्टी बिछाने और अन्य कार्यों में गुणवत्ता पर ध्यान नहीं दिया जा रहा था। अधिकारी केवल औपचारिक निरीक्षण करके चले जाते हैं।”— सुरेश चंद्र, स्थानीय निवासी
प्रशासन का पक्ष
पालिका प्रशासन ने इस घटना को “आकस्मिक हादसा” बताया है।अधिकारियों का कहना है कि:
“यह एक दुर्भाग्यपूर्ण लेकिन आकस्मिक घटना थी। किसी को चोट नहीं आई। गिरे हुए द्वार को हटाकर नया द्वार तुरंत बनाया जाएगा। निर्माण कार्य में किसी भी तरह की कोताही नहीं बरती जाएगी।”
आखिर सवाल यह है…
इस हादसे ने सरकारी योजनाओं की गुणवत्ता और जवाबदेही पर गहरे सवाल खड़े कर दिए हैं —
क्या करोड़ों रुपये के प्रोजेक्ट्स में गुणवत्ता मानकों का पालन किया जा रहा है?
क्या अधिकारी केवल कागज़ी रिपोर्टों तक सीमित हैं?
और क्या जनता के पैसों से बने ढांचे इतने कमज़ोर क्यों साबित हो रहे हैं?
प्रशासन के लिए चेतावनी
संभल के यमतीर्थ का यह हादसा केवल एक दुर्घटना नहीं, बल्कि एक चेतावनी है —
कि योजनाओं का नाम, बजट और उद्घाटन सब व्यर्थ है अगर निर्माण मजबूत और टिकाऊ नहीं होगा।
श्रद्धालुओं की आस्था और जनता के करोड़ों रुपये — दोनों की रक्षा सुनिश्चित करना प्रशासन की सबसे बड़ी ज़िम्मेदारी है।
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भारतवर्ष समाचार ब्यूरो
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