संभल में शिक्षा व्यवस्था पर मंथन: क्या 70 से कम छात्रों वाले स्कूल होंगे बंद? BSA के आदेश से मचा बवाल!
- bharatvarshsamaach
- Jul 12
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रिपोर्ट: प्रदीप मिश्रा, संभल
तारीख: 12 जुलाई 2025
संभल, उत्तर प्रदेश – उत्तर प्रदेश के संभल जिले में शिक्षा विभाग की एक कथित चूक ने बड़ा विवाद खड़ा कर दिया है। सोशल मीडिया पर एक आदेश की कॉपी वायरल होते ही जिले में शिक्षा से जुड़े अभिभावकों और कर्मचारियों में हड़कंप मच गया। वायरल आदेश के अनुसार, 70 से कम नामांकन वाले सरकारी प्राइमरी व अपर प्राइमरी स्कूलों को बंद कर, छात्रों को पास के अन्य स्कूलों में शिफ्ट किया जाएगा।
विवाद की जड़: BSA कार्यालय का आदेश
वायरल हो रहे आदेश पत्र में यह उल्लेख था कि जिन स्कूलों में 70 से कम छात्र नामांकित हैं, उन्हें मर्ज कर दिया जाएगा। आदेश सामने आते ही शिक्षकों, अभिभावकों और स्थानीय प्रतिनिधियों में आक्रोश की लहर दौड़ गई। कई लोगों ने इस फैसले को ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ करार दिया।
BSA अलका शर्मा की सफाई
विवाद बढ़ता देख संभल की BSA (बेसिक शिक्षा अधिकारी) अलका शर्मा ने स्थिति को स्पष्ट करते हुए सफाई दी कि:
"यह आदेश त्रुटिवश जारी हुआ था। मर्ज किए जाने थे सिर्फ वे 70 स्कूल जिनमें 50 से कम छात्र नामांकित हैं, न कि सभी 70 से कम छात्र संख्या वाले स्कूल।"
उन्होंने यह भी बताया कि संभल जिले में कुल 181 स्कूलों को मर्ज करने की प्रक्रिया चल रही है, जिनमें से 70 स्कूलों में 50 से भी कम छात्र हैं। यानी मूल उद्देश्य शिक्षा की गुणवत्ता और संसाधनों के बेहतर प्रबंधन को लेकर था, न कि स्कूलों को अंधाधुंध बंद करना।
जमीनी असर और लोगों की प्रतिक्रिया
ग्रामीण क्षेत्रों के कई अभिभावकों और शिक्षकों ने आशंका जताई कि यदि ऐसे आदेश बिना स्पष्टता के लागू किए जाते हैं, तो इससे बच्चों को दूरस्थ स्कूलों में जाने की मजबूरी हो सकती है, जिससे बच्चों की उपस्थिति और ड्रॉपआउट रेट पर असर पड़ेगा।
बड़ा सवाल
क्या इस प्रकार के आदेशों से ग्रामीण शिक्षा प्रणाली में भरोसा घटेगा?
क्या स्कूल मर्जर से संसाधनों का कुशल उपयोग हो पाएगा या इससे शिक्षा का अधिकार प्रभावित होगा?
निष्कर्ष:
संभल जिले में BSA कार्यालय के आदेश ने शिक्षा व्यवस्था को लेकर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। प्रशासन की ओर से सफाई भले ही आ गई हो, लेकिन इस प्रकरण ने यह ज़रूर दिखा दिया कि संवेदनशील विषयों पर आदेश जारी करने से पहले स्पष्टता और पारदर्शिता बेहद ज़रूरी है।
रिपोर्ट: प्रदीप मिश्रा, संभल
मंच: भारतवर्ष मीडिया













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