संभल हिंसा मामला: जामा मस्जिद के सदर जफर अली को हाईकोर्ट से बड़ी राहत
- bharatvarshsamaach
- Sep 15
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रिपोर्टर: प्रदीप मिश्रा, संभल
भारतवर्ष समाचार ब्यूरो
संभल हिंसा मामले में एक अहम मोड़ आया है। शाही जामा मस्जिद के सदर जफर अली एडवोकेट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर कर अपने खिलाफ दर्ज मुकदमों को रद्द करने की मांग की थी। सोमवार को इस याचिका पर हुई सुनवाई में हाईकोर्ट ने उनके खिलाफ किसी भी प्रकार की कार्रवाई पर अगले आदेश तक रोक लगा दी। कोर्ट का यह आदेश न केवल जफर अली बल्कि उनके समर्थकों के लिए भी राहत की खबर माना जा रहा है।
क्या है पूरा मामला?
24 नवंबर 2024 को संभल की शाही जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान अचानक माहौल बिगड़ गया था। मस्जिद के बाहर भारी संख्या में लोग जुट गए और देखते ही देखते विवाद हिंसा का रूप ले बैठा। इस दौरान तोड़फोड़ और पथराव जैसी घटनाएँ भी सामने आईं। पुलिस ने हालात को काबू में लाने के लिए कई मुकदमे दर्ज किए थे। इन्हीं मुकदमों में मस्जिद के सदर जफर अली एडवोकेट और अन्य नामजद किए गए थे।
जफर अली ने लगाई हाईकोर्ट से गुहार
जफर अली ने अदालत में याचिका दाखिल करते हुए कहा कि उन पर लगे मुकदमे निराधार हैं और राजनीतिक व सामाजिक दबाव के चलते दर्ज किए गए हैं। उनका कहना है कि असली मकसद उन्हें और समुदाय को निशाना बनाना था। इसलिए सभी मुकदमों को रद्द किया जाए।
हाईकोर्ट का बड़ा आदेश
सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने जफर अली की याचिका को सांसद जियाउर्रहमान बर्क की याचिका के साथ जोड़ने का आदेश दिया। दोनों की याचिकाओं पर अब संयुक्त रूप से सुनवाई होगी। अदालत ने साफ कहा कि जब तक अगला आदेश नहीं आता, तब तक जफर अली के खिलाफ किसी भी प्रकार की कार्रवाई नहीं की जाएगी।
जफर अली का बयान
हाईकोर्ट के आदेश के बाद जफर अली ने मीडिया से बातचीत में कहा:"यह न्यायालय की जीत है। मुझे और मेरे परिवार को जो राहत मिली है, उसके लिए हम कोर्ट का शुक्रिया अदा करते हैं। हमें भरोसा है कि सच सामने आएगा और न्याय मिलेगा।"
राजनीतिक सरगर्मी
इस पूरे मामले ने संभल की राजनीति में भी गर्माहट पैदा कर दी है। सांसद जियाउर्रहमान बर्क पहले ही इस मामले में याचिका दाखिल कर चुके हैं। अब दोनों याचिकाओं की सुनवाई साथ होने से राजनीतिक और कानूनी हलकों में इसे लेकर नई चर्चा शुरू हो गई है।
आगे की राह
अब पूरे संभल जिले की निगाहें हाईकोर्ट की अगली सुनवाई पर टिकी हैं। माना जा रहा है कि इस सुनवाई से न केवल जफर अली बल्कि हिंसा मामले से जुड़े अन्य आरोपियों के भविष्य की भी दिशा तय होगी।
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