अमरोहा में किसानों का बिगुल: 6 अक्टूबर को कलेक्ट्रेट पर महापंचायत और विशाल घेराव
- bharatvarshsamaach
- Sep 29
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भारतवर्ष समाचार ब्यूरो | अमरोहा
अमरोहा। गजरौला क्षेत्र की फैक्ट्रियों से उठ रहे जहरीले धुएं और किसानों की समस्याओं की लगातार अनदेखी ने अब सब्र का बांध तोड़ दिया है। भारतीय किसान यूनियन (शंकर) ने जिला अधिकारी अमरोहा को ज्ञापन सौंपते हुए चेतावनी दी है कि यदि 5 अक्टूबर तक उनकी मांगे पूरी नहीं की गईं, तो 6 अक्टूबर सोमवार को सुबह 11 बजे से अमरोहा कलेक्ट्रेट का विशाल घेराव और महापंचायत किया जाएगा।
किसानों की प्रमुख मांगें
किसानों ने जिला प्रशासन और शासन के सामने कई अहम मुद्दे उठाए हैं:
गन्ना मूल्य: 518 रुपये प्रति क्विंटल घोषित किया जाए और अवशेष भुगतान पर 15% ब्याज मिले। लापरवाह चीनी मिलों पर दंडात्मक कार्रवाई की जाए।
ग्रामीण बैंक: केसीसी सब्सिडी लौटाई जाए और ₹5 लाख की नई लिमिट तुरंत लागू की जाए।
बिजली: निजीकरण, स्मार्ट मीटर और दरों की बढ़ोतरी का विरोध, गलत बिलिंग पर सख्ती।
अधिकार और विकास: अमरोहा विकास प्राधिकरण का गठन, भ्रष्टाचार पर लगाम, गंगा धाम तिगरी से ब्रजघाट तक रिवर फ्रंट बनाकर पर्यटक स्थल घोषित।
सुरक्षा और मुआवजा: नौगांवा क्षेत्र में तेंदुए के हमले से घायल किसानों को मुआवजा और दर्ज मुकदमों को वापस लिया जाए।
सिंचाई और सड़कें: मध्य गंगा नहर फेस-2 बहजोई ब्रांच में तत्काल पानी छोड़ा जाए और टूटी-फूटी सड़कों को ठीक कराया जाए।
कृषि और व्यापार: नकली खाद और पेस्टिसाइड की सख्त जांच, ठगने वाले व्यापारियों पर कार्रवाई।
सार्वजनिक सेवाएँ: ग्रामीण अंचलों के लिए नियमित रोडवेज बस सेवा, गुलडिया व हसनपुर तहसील में रजिस्ट्री और सीओ कार्यालय का निर्माण।
जबरन चकबंदी पर रोक: किसानों की मर्जी के बिना किसी प्रकार की चकबंदी न हो।
महापंचायत में अधिकारियों की उपस्थिति अनिवार्य
किसानों ने साफ किया है कि इस बार महापंचायत में सभी संबंधित विभागाध्यक्षों और अधिकारियों की उपस्थिति अनिवार्य होगी। इसमें मुख्य पुलिस अधीक्षक, मुख्य विकास अधिकारी, उप गन्ना आयुक्त, जिला गन्ना अधिकारी, चीनी मिल प्रबंधक, बैंक अधिकारी, विद्युत अभियंता, जल निगम, पीडब्ल्यूडी, कृषि विभाग और प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी शामिल हैं।
किसानों का कहना है कि यदि अधिकारी महापंचायत स्थल पर नहीं पहुंचे, तो वे आमरण अनशन, भूख-हड़ताल और बड़े प्रदर्शन पर मजबूर होंगे। संगठन ने इसकी पूरी जिम्मेदारी प्रशासन और शासन की ठहराई है।
महापंचायत में उपस्थित संगठन के प्रतिनिधि
ज्ञापन में आज किसानों के प्रतिनिधि चौधरी धर्मवीर सिंह, विक्रम पवार, मा जगतचौहान, सम्पाल सैनी, अमीपाल दरोगा, नरेश कुमार, राकेश रतनपुर, गजराम चौहान, सुनील चौहान, सुखबीर भगत जी, प्रवेश कुमार, रोहतास सिंह, नेमपाल सिंह, बबीता रानी, अशोक देवी, जरीना बेगम, मंजू चौधरी और अमरपाल मौजूद रहे।
निष्कर्ष
किसानों का बिगुल अब तेज़ हो चुका है – उनकी मांगों को सुनना और उनका समाधान करना प्रशासन और शासन की प्राथमिक जिम्मेदारी बन गई है। 6 अक्टूबर को अमरोहा कलेक्ट्रेट पर होने वाली महापंचायत देशभर के किसानों के संघर्ष और उनके हक़ की लड़ाई की एक बड़ी मिसाल साबित हो सकती है।
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भारतवर्ष समाचार ब्यूरो
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