इमाम हुसैन की कुर्बानियों से जिंदा है इस्लाम: कारी अज़ीज़ अहमद निज़ामी
- bharatvarshsamaach
- Jul 8
- 2 min read
झांसी के आस्ताना-ए-सरकार बासा अपिया हुजूर में 'यादें कर्बला' का हुआ समापन
झांसी।मदरसा अल-जामियातुल राज्ज़ाकिया सोसायटी, आस्ताना-ए-सरकार बासा अपिया हुजूर (महाराज सिंह नगर, पुलिया नंबर 9) में हर वर्ष की तरह इस बार भी जिक्र-ए-इमाम हुसैन व यादें कर्बला का आयोजन बड़े श्रद्धा और गमगीन माहौल में सम्पन्न हुआ। यह कार्यक्रम सूफी अफराज हुसैन की निगरानी में संपन्न हुआ।
कार्यक्रम 1 मोहर्रम से 10 मोहर्रम तक प्रतिदिन नमाज़-ए-मग़रिब के बाद आयोजित किया गया। इसमें फातिहा ख्वानी, नाते पाक और शहीद-ए-कर्बला हज़रत इमाम हुसैन की कुर्बानी पर चर्चा हुई। समापन समारोह 12 मोहर्रम (मंगलवार) को हुआ, जिसमें बड़ी संख्या में अकीदतमंदों, महिलाओं और बच्चों ने शिरकत की
कारी अज़ीज़ अहमद ने दी ऐतिहासिक जानकारी
कारी अज़ीज़ अहमद निज़ामी ने कहा,
"इमाम हुसैन की कुर्बानियों की बदौलत आज इस्लाम जिंदा है। अगर वे यज़ीद के सामने झुक जाते तो आज इस्लाम का नाम लेने वाला कोई नहीं होता।"
उन्होंने कहा कि इमाम हुसैन पैग़म्बर हज़रत मोहम्मद (स.अ.) के नवासे थे और कर्बला की ज़मीन पर उन्होंने 72 साथियों सहित शहादत कबूल की, लेकिन ज़ालिम यज़ीद के आगे सिर नहीं झुकाया। उनके बेटे जैनुल आबिदीन, जो उस वक़्त बीमार थे, इस जंग से बच गए।
शहर के कई उलमा और अकीदतमंदों ने की शिरकत
इस मौके पर मौलाना हाशिम (शहर काज़ी), कारी अबरार, हाफिज जमील, हाफिज सलीम अहमद, हाफिज रिजवान अशरफी, हाफिज सलमान, हाफिज मुबारक अली और हाफिज शरीफ़ समेत अनेक धार्मिक विद्वानों ने इमाम हुसैन की शहादत पर रोशनी डाली।
आमजन की भी रही बड़ी भागीदारी
कार्यक्रम में बड़ी संख्या में मुरीदीन व अकीदतमंद शामिल हुए। प्रमुख उपस्थितियों में शामिल रहे:
सैय्यद बशारत अली, हाजी नईम कुरैशी, अब्दुल रहमान, फैजान, कदीम अहमद, मुहम्मद अली, राम सहाय, इंतज़ार अली, सलीम, शफीक़ ख़ान, हाजी सलीम, बबलू भाई, मुमताज़ मास्टर, हाजी इनायत, आदि।
कार्यक्रम की निजामत हाफिज कारी जमील ने की और समापन पर देश में अमन-ओ-अमान व भाईचारे की दुआ की गई। इसके बाद लंगर (प्रसाद) वितरण किया गया।
रिपोर्ट: मोहम्मद कलाम कुरैशी, झांसी
भारतवर्ष समाचार संपर्क विवरण
फोन: 9410001283
वेबसाइट: www.bharatvarshsamachar.org

















Comments