झांसी में 4 दिन की तपस्या के बाद सूर्य को अरघ देकर व्रतियों ने पूरा किया छठ व्रत
- bharatvarshsamaach
- Oct 28
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भारतवर्ष समाचार
रिपोर्टर: मोहम्मद कलाम कुरैशी |
स्थान: झांसी, उत्तर प्रदेश
झांसी में रविवार को छठ पर्व बड़े ही धूमधाम और श्रद्धा के साथ संपन्न हुआ।चार दिन तक चलने वाले सूर्य उपासना के इस महापर्व में व्रतियों ने अंतिम दिन उदीयमान सूर्य को अरघ देकर अपनी तपस्या पूर्ण की।बरसते बादलों और ठंडी हवाओं के बावजूद श्रद्धालु महिलाओं की आस्था और समर्पण में कोई कमी नहीं आई।
सूर्य उपासना का पर्व — आस्था की मिसाल
झांसी के विभिन्न घाटों, तालाबों और अस्थायी कुंडों पर सुबह से ही व्रती महिलाएं और परिवारजन जुट गए थे।सभी ने उगते सूर्य को दूध, जल और गुड़ मिश्रित अर्घ्य अर्पित किया।इस दौरान माहौल भक्ति और लोकगीतों की गूंज से सराबोर रहा —“उठो ललना, अरघ देबे के बेर भईल…” जैसे पारंपरिक गीतों ने वातावरण को भक्तिमय बना दिया।
बारिश भी नहीं रोक सकी श्रद्धा
छठ पर्व के दौरान बरसते बादल और बीच-बीच में हल्की बारिश ने व्रतियों की परीक्षा ली,लेकिन प्रकृति की चुनौतियों के आगे आस्था अडिग रही।व्रती महिलाएं मध्य जल में खड़ी होकर भगवान भास्कर की पूजा-अर्चना करती रहीं औरछठ मैया से परिवार की सुख, शांति और समृद्धि की कामना की।
चार दिनों की कठिन साधना
छठ पर्व की शुरुआत “नहाय खाय” से होती है, इसके बाद “खरना”,फिर संध्या अर्घ्य और अंत में प्रातः अर्घ्य देकर व्रत पूरा किया जाता है।व्रतियों ने चार दिनों तक सात्विकता, संयम और शुद्धता का पालन करते हुएअन्न-जल त्याग कर सूर्य देव और छठ मैया की आराधना की।
झांसी में छठ की छटा
झांसी शहर के ओरछा गेट तालाब, पंचकुइयाँ तालाब, लक्ष्मी तालाब, और शिवाजी नगर घाटों परछठ पर्व की अद्भुत छटा देखने को मिली।सैकड़ों महिलाओं ने अपने परिवार के साथ डूबते और उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया।पूरे क्षेत्र में सुरक्षा व्यवस्था और साफ-सफाई के विशेष इंतज़ाम किए गए थे।
“छठ सिर्फ पर्व नहीं, आस्था का महापर्व है”
स्थानीय श्रद्धालुओं का कहना था —
“छठ केवल एक पर्व नहीं, बल्कि यह आस्था, आत्मबल और परिवार की सुख-समृद्धि के लिए तपस्या का प्रतीक है।चार दिनों की साधना के बाद जब हम सूर्य देव को अर्घ्य देते हैं, तो लगता है जैसे पूरा जीवन शुद्ध हो गया हो।”
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भारतवर्ष समाचार ब्यूरो
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