बलरामपुर में पंचायत प्रतिनिधियों का हल्ला बोल: भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई या अन्याय की सख्ती?
- bharatvarshsamaach
- Jul 3
- 3 min read
स्थान: बलरामपुर |
रिपोर्टर: योगेन्द्र त्रिपाठी
बलरामपुर जिले में इन दिनों पंचायत प्रतिनिधियों और जिला प्रशासन के बीच टकराव की स्थिति बनी हुई है। हाल ही में भ्रष्टाचार के मामलों में पंचायत स्तर पर हुई सख्त कार्रवाई के विरोध में ग्राम प्रधान, पंचायत सचिव और रोजगार सेवक सड़कों पर उतर आए हैं। उन्होंने धरना-प्रदर्शन करते हुए जिला प्रशासन पर एकतरफा कार्रवाई का आरोप लगाया है और कार्य बहिष्कार की चेतावनी दी है।
प्रशासन की ओर से जिन मामलों में कार्रवाई हुई है, उनमें पचपेड़वा विकासखंड के बिशुनपुर टांटनवा गांव और सदर विकासखंड के बैजपुर गांव प्रमुख हैं। बिशुनपुर टांटनवा में मनरेगा योजना के तहत तालाब निर्माण में गड़बड़ी सामने आने के बाद ग्राम प्रधान, सचिव और रोजगार सेवक सहित छह लोगों को जेल भेजा गया। वहीं, बैजपुर गांव में पंचायत भवन निर्माण में अनियमितता पाए जाने पर ग्राम प्रधान और पंचायत सचिव को जेल भेजा गया।
प्रतिनिधियों का आरोप: छोटे कर्मचारियों को टारगेट किया जा रहा है
प्रदर्शन कर रहे पंचायत प्रतिनिधियों का कहना है कि प्रशासन सिर्फ निचले स्तर के कर्मचारियों को कठघरे में खड़ा कर रहा है, जबकि असल जिम्मेदार अधिकारियों को बचाया जा रहा है। उन्होंने विशेष रूप से तत्कालीन खंड विकास अधिकारी धनंजय सिंह का नाम लिया और आरोप लगाया कि बिशुनपुर टांटनवा मामले में भुगतान उन्हीं के डोंगल से हुआ था, फिर भी उन्हें जांच से बाहर रखा गया है।
विकासखंड से कलेक्ट्रेट तक मार्च, पुलिस से नोकझोंक
प्रदर्शनकारियों ने पहले विकासखंड कार्यालय का घेराव किया और फिर कलेक्ट्रेट की ओर मार्च किया, हालांकि पुलिस ने उन्हें बीच में ही रोक दिया। इस दौरान पुलिस और प्रतिनिधियों के बीच हल्की नोकझोंक भी हुई। मौके पर पहुंचे स्थानीय विधायक कैलाश नाथ शुक्ला ने हालात को संभालने की कोशिश की, लेकिन प्रतिनिधि अपनी मांगों से पीछे हटने को तैयार नहीं हुए।
ज्ञापन सौंप कर रखीं प्रमुख मांगे
प्रदर्शन के अंत में प्रतिनिधियों ने जिलाधिकारी को राज्यपाल के नाम संबोधित एक ज्ञापन सौंपा, जिसमें निम्नलिखित मुख्य मांगें शामिल थीं:
बिशुनपुर टांटनवा प्रकरण में उच्च अधिकारियों को भी जांच के दायरे में लाया जाए
बैजपुर प्रकरण में महिला कर्मचारी आरती रावत के मामले की मानवीय आधार पर समीक्षा हो
जल जीवन मिशन में ठेकेदारों को बचाने के प्रयास रोके जाएं, सड़कें खराब हैं और मरम्मत नहीं हो रही
मनरेगा में मजदूरी दर कम है और ग्राम प्रधानों पर जबरन लक्ष्य थोपा जा रहा है
वृक्षारोपण के बाद अनावश्यक प्रताड़ना बंद हो
मनरेगा योजना पर अत्यधिक प्रशासनिक नियंत्रण समाप्त हो
प्रशासन और जनप्रतिनिधियों के बीच सीधा टकराव
बलरामपुर की यह स्थिति प्रशासन और पंचायत प्रणाली के बीच गंभीर असंतुलन को दर्शा रही है। एक तरफ प्रशासन भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त है, तो दूसरी तरफ पंचायत प्रतिनिधि इसे राजनीतिक या व्यक्तिगत बदले की कार्रवाई मान रहे हैं। सवाल यह भी उठ रहा है कि क्या सख्ती के नाम पर कुछ लोगों के साथ अन्याय हो रहा है?
यदि जल्द कोई समाधान नहीं निकला, तो जिले की पंचायती व्यवस्था पूरी तरह ठप हो सकती है, जिसका सीधा असर विकास कार्यों और ग्रामीण जनता पर पड़ेगा।
बाइट्स (उद्धरण):
प्रधान संघ नेता:"हम छोटे कर्मचारियों को बलि का बकरा बना देने की नीति को स्वीकार नहीं करेंगे। दोषी अधिकारी भी कार्रवाई से बाहर नहीं होने चाहिए।"
कैलाश नाथ शुक्ला, विधायक:"स्थिति गंभीर है, हमें सभी पक्षों की बात सुननी चाहिए। समाधान संवाद से ही निकलेगा।"
रिपोर्टर: योगेन्द्र त्रिपाठी
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