बिजनौर: रिहायशी इलाके में घुसा मगरमच्छ, ग्रामीणों ने दिखाई अमानवीयता, वन विभाग बेखबर
- bharatvarshsamaach
- Jul 8
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स्थान: चाहड़वाला गांव, थाना मंडावर, बिजनौर (उत्तर प्रदेश)
तारीख: [अपडेट करें]
घटना का विवरण
बिजनौर के मंडावर थाना क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले चाहड़वाला गांव में सोमवार सुबह एक मगरमच्छ खेतों और गलियों के बीच भटकता हुआ दिखाई दिया। मगरमच्छ को देखकर ग्रामीणों में भय का माहौल पैदा हो गया। लेकिन यह भय जल्द ही एक संवेदनहीन और अमानवीय व्यवहार में तब्दील हो गया।
कुछ ग्रामीणों ने मगरमच्छ को रस्सियों से बांध दिया। इसके बाद उसे गांव में मजाक और मनोरंजन का साधन बना दिया गया। वीडियो और तस्वीरों में देखा जा सकता है कि बच्चे मगरमच्छ के ऊपर चढ़कर खेल रहे हैं, जैसे वह कोई खिलौना हो। यह कृत्य न केवल वन्यजीव संरक्षण कानूनों का उल्लंघन है, बल्कि पशु क्रूरता अधिनियम के अंतर्गत भी अपराध की श्रेणी में आता है।
कानूनी और नैतिक सवाल
क्या ग्रामीणों को वन्यजीवों से निपटने के लिए उचित जानकारी दी गई है?
क्या यह कृत्य भारतीय पशु क्रूरता अधिनियम, 1960 के अंतर्गत दंडनीय नहीं है?
घटना के दौरान वन विभाग की भूमिका और सक्रियता कहाँ थी?
सोशल मीडिया पर वायरल हो रही वीडियो के बावजूद अब तक कोई प्रशासनिक कार्रवाई क्यों नहीं हुई?
विशेषज्ञों की राय
वन्यजीव विशेषज्ञों का कहना है कि मगरमच्छ आमतौर पर इंसानों पर तब तक हमला नहीं करता जब तक उसे उकसाया न जाए या खतरा न महसूस हो। ऐसी स्थिति में वन विभाग को तत्काल सूचित करना सबसे उचित कदम होता है। मगरमच्छ को इस प्रकार बेबस और पीड़ित बनाना न केवल अनैतिक है, बल्कि गंभीर अपराध भी है।
भारतवर्ष समाचार की अपील
भारतवर्ष समाचार प्रशासन, वन विभाग और आम जनता से यह अपील करता है:
वन्यजीवों के प्रति संवेदनशीलता और समझदारी दिखाएं
किसी भी वन्य प्राणी को हानि पहुंचाना कानूनन अपराध है
ऐसे मामलों में तुरंत वन विभाग या संबंधित अधिकारियों को सूचित करें
बच्चों को ऐसे जानवरों से दूर रखें — यह उनके लिए भी खतरनाक हो सकता है
सोशल मीडिया पर सनसनी फैलाने के बजाय जिम्मेदारी का परिचय दें
जानवरों पर रहम करें — वे खिलौना नहीं
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रिपोर्टर: शकील अहमद बिजनौर
भारतवर्ष समाचार संपर्क विवरण
फोन: 9410001283
वेबसाइट: www.bharatvarshsamachar.org

















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