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वाराणसी में 'उदयपुर फाइल' फिल्म को लेकर बवाल! शहर-ए-मुफ़्ती अब्दुल बातिन नोमानी ने की तत्काल बैन की मांग

  • bharatvarshsamaach
  • Jul 8
  • 3 min read

रिपोर्ट: नौमेश कुलदीप श्रीवास्तव

वाराणसी


11 जुलाई को रिलीज़ होने जा रही फिल्म ‘उदयपुर फाइल’ को लेकर वाराणसी में विरोध के स्वर तेज़ हो गए हैं। इस फिल्म के खिलाफ सबसे मुखर आवाज़ शहर-ए-मुफ़्ती अब्दुल बातिन नोमानी की ओर से उठी है। उन्होंने जिला अधिकारी और पुलिस आयुक्त को पत्र लिखकर इस फिल्म को वाराणसी में प्रतिबंधित करने की मांग की है। साथ ही उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में भी याचिका दायर कर फिल्म की रिलीज़ पर रोक लगाने की अपील की है।


शहर-ए-मुफ़्ती ने क्या कहा?

अब्दुल बातिन नोमानी ने स्पष्ट शब्दों में कहा:

"उदयपुर फाइल फ़िल्म पर तत्काल रोक लगाई जाए। अगर फिल्म शुक्रवार को रिलीज़ होती है तो बनारस की कानून व्यवस्था बिगड़ सकती है।"

उनका आरोप है कि यह फिल्म:


  • सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन ज्ञानवापी विवाद को प्रभावित करने का प्रयास है।

  • फिल्म में इस्लाम और पैगंबर मोहम्मद साहब को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणियाँ की गई हैं।

  • भ्रामक तथ्यों और भड़काऊ डायलॉग्स के माध्यम से समाज में साम्प्रदायिक तनाव फैलाने की साज़िश है।


'उदयपुर फाइल' क्यों है विवादों में?

इस फिल्म को लेकर आरोप है कि इसमें ज्ञानवापी मस्जिद से संबंधित संवेदनशील मुद्दों को तोड़-मरोड़ कर प्रस्तुत किया गया है। फिल्म में न सिर्फ़ ऐतिहासिक तथ्यों को गलत तरीके से दिखाया गया है, बल्कि ऐसा प्रतीत होता है कि इसका मकसद अदालत की चल रही कार्यवाही को प्रभावित करना है।


"फिल्म में जानबूझकर ऐसे दृश्य डाले गए हैं जो मुसलमानों की धार्मिक भावनाओं को आहत करते हैं। यह न केवल समाज में जहर घोलने की कोशिश है, बल्कि न्यायिक प्रक्रिया में हस्तक्षेप भी है।"— अब्दुल बातिन नोमानी, शहर-ए-मुफ़्ती, बनारस


सुप्रीम कोर्ट में याचिका

शहर-ए-मुफ़्ती ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करते हुए फिल्म के प्रदर्शन पर रोक लगाने की मांग की है। उन्होंने पांच बिंदुओं पर आपत्ति दर्ज की है, जिनमें:

  1. धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाना

  2. ज्ञानवापी केस को प्रभावित करने की कोशिश

  3. भ्रामक दृश्य और संवाद

  4. साम्प्रदायिक तनाव को भड़काने की आशंका

  5. कानून-व्यवस्था के लिए खतरा


प्रशासन से मांग

शहर-ए-मुफ़्ती ने प्रशासन से आग्रह किया है कि वाराणसी जैसे धार्मिक और संवेदनशील शहर में इस फिल्म को रिलीज़ होने से रोका जाए ताकि साम्प्रदायिक सौहार्द बना रहे। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर फिल्म रिलीज़ हुई तो संभावित हिंसा या उपद्रव के लिए प्रशासन जिम्मेदार होगा


सामाजिक और राजनीतिक प्रतिक्रिया

इस विवाद के बाद स्थानीय समाजसेवियों, धार्मिक संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं में भी चिंता देखी जा रही है। कई संगठनों ने मांग की है कि फिल्म के प्रदर्शन से पहले सेंसर बोर्ड या उच्च न्यायालय के द्वारा इसकी समीक्षा होनी चाहिए।


क्या फिल्म होगी रिलीज़?

अब सवाल यह उठ रहा है कि क्या 'उदयपुर फाइल' तय तारीख यानी 11 जुलाई को रिलीज़ हो पाएगी या नहीं। सुप्रीम कोर्ट और जिला प्रशासन इस मुद्दे पर क्या रुख अपनाते हैं, इस पर सबकी निगाहें टिकी हैं। अगर फिल्म पर प्रतिबंध नहीं लगा, तो वाराणसी समेत अन्य संवेदनशील शहरों में विरोध और तनाव की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।


निष्कर्ष

‘उदयपुर फाइल’ फिल्म एक बार फिर सिनेमा, धर्म और राजनीति के त्रिकोण पर खड़े विवाद की नुमाइंदगी कर रही है। वाराणसी में इसके खिलाफ विरोध ने यह स्पष्ट कर दिया है कि यह केवल एक फिल्म नहीं, बल्कि सामाजिक और धार्मिक तनाव का केंद्र बन चुकी है।


अब देखना होगा कि प्रशासन और अदालत इस संवेदनशील मुद्दे पर क्या निर्णय लेते हैं।


बाइट: अब्दुल बातिन नोमानी, शहर-ए-मुफ़्ती, बनारस



रिपोर्ट: नौमेश कुलदीप श्रीवास्तव

भारतवर्ष समाचार संपर्क विवरण

फोन: 9410001283

वेबसाइट: www.bharatvarshsamachar.org

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