संभल में जींस फैक्ट्रियों पर प्रशासन का शिकंजा, कारोबारियों पर रोजगार संकट गहराया
- bharatvarshsamaach
- Sep 17
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रिपोर्ट : प्रदीप मिश्रा, संभल
भारतवर्ष समाचार ब्यूरो
संभल। जींस फैक्ट्री मालिकों के लिए प्रशासन ने सख़्त रुख अख़्तियार कर लिया है। अब बिना NOC और विभागीय अनुमति के कोई भी फैक्ट्री चलाना नामुमकिन होगा। नई तहसील सभागार में हुई महत्वपूर्ण बैठक में अधिकारियों ने साफ़ कह दिया कि आबादी से 500 मीटर की दूरी पर ही फैक्ट्री लगाई जाएगी, अन्यथा कार्रवाई तय है।
प्रशासन की चेतावनी
मीटिंग में सिटी मजिस्ट्रेट सुधीर कुमार ने दो टूक कहा –
“ग़ैरक़ानूनी तरीके से कोई भी फैक्ट्री नहीं चल सकती। कानून सबके लिए बराबर है। हर फैक्ट्री को जरूरी परमिशन और विभागीय शर्तें पूरी करनी होंगी, तभी संचालन संभव है।”
विभागों ने रखीं सख़्त शर्तें
बैठक में प्रदूषण विभाग, बिजली विभाग, जीएसटी विभाग और भूगर्भ विभाग के अधिकारियों ने फैक्ट्री मालिकों को स्पष्ट निर्देश दिए।
प्रदूषण विभाग – पर्यावरणीय मानकों और अपशिष्ट निस्तारण की व्यवस्था करना अनिवार्य।
बिजली विभाग – अवैध कनेक्शन और बकाया बिल पर कार्रवाई होगी।
जीएसटी विभाग – कारोबारियों को टैक्स नियमों और दस्तावेज़ पूरे करने होंगे।
भूगर्भ विभाग – ज़मीन के भीतर से पानी खींचने के लिए अनुमति लेना ज़रूरी।
कारोबारियों की परेशानी
जींस कारोबारी मिंजार ने प्रशासन से गुहार लगाते हुए कहा –
“हमें कागज़ पूरे करने के लिए थोड़ा समय चाहिए। अगर तुरंत फैक्ट्रियाँ बंद कर दी गईं तो सैकड़ों लड़कों का रोज़गार बर्बाद हो जाएगा। संभल की अर्थव्यवस्था पर भी गहरा असर पड़ेगा।”
संभल की पहचान है जींस उद्योग
संभल का जींस उद्योग स्थानीय स्तर पर हज़ारों युवाओं को रोज़गार देता है। यही वजह है कि प्रशासन की इस सख़्ती से पूरे क्षेत्र में बेचैनी है। कारोबारियों का कहना है कि फैक्ट्रियों पर अचानक कार्रवाई हुई तो यह उद्योग चौपट हो जाएगा और हज़ारों परिवार रोज़ी-रोटी से वंचित हो जाएंगे।
रोजगार पर गहराया संकट
फैक्ट्रियाँ बंद हुईं तो मज़दूर बेरोज़गार हो जाएंगे।
कारोबार ठप होने से शहर की अर्थव्यवस्था को झटका लगेगा।
जींस उद्योग की बदनामी से भविष्य की संभावनाएँ प्रभावित होंगी।
प्रशासन vs कारोबारियों
जहाँ एक ओर प्रशासन नियम-कायदों के पालन पर अड़ा है, वहीं कारोबारियों की दलील है कि अगर समय और सहयोग दिया जाए तो वे सभी शर्तें पूरी कर सकते हैं। लेकिन सवाल यही है कि क्या रोज़गार बचाने के लिए प्रशासन कोई नरमी दिखाएगा या सख़्त रुख ही जारी रहेगा?
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भारतवर्ष समाचार ब्यूरो
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