संभल हिंसा मामले में जमानत के बाद निकाले गए जुलूस पर नया विवाद, जफर अली समेत दर्जनों पर FIR
- bharatvarshsamaach
- Aug 6
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रिपोर्ट: प्रदीप मिश्रा, संभल
संभल हिंसा के मुख्य आरोपी जफर अली को हाल ही में हाईकोर्ट से जमानत मिलने के बाद एक नया विवाद खड़ा हो गया है। कोर्ट से रिहाई के बाद जफर अली ने अपने समर्थकों के साथ 42 किलोमीटर लंबा रोड शो निकाला, जिसमें जमकर आतिशबाजी और धार्मिक नारेबाजी की गई। इस पूरे मामले में संभल पुलिस ने चार नामजद और 50-60 अज्ञात लोगों के खिलाफ FIR दर्ज की है।
क्या है पूरा मामला?
23 मार्च को संभल में हुई हिंसा के बाद पुलिस ने जफर अली एडवोकेट को गिरफ्तार कर जेल भेजा था। इस मामले में सपा सांसद जियाउर्रहमान बर्क और विधायक इक़बाल महमूद के बेटे सुहैल इकबाल भी नामजद हैं। चार महीने तक मुरादाबाद जेल में रहने के बाद 24 जुलाई को हाईकोर्ट से जफर अली को जमानत मिल गई और 1 अगस्त को वे जेल से रिहा हुए।
रिहाई के दिन, जफर अली का समर्थकों ने भव्य स्वागत किया। आठ-दस गाड़ियों का काफिला उनके साथ चला और जगह-जगह आतिशबाजी, नारेबाजी और रोड शो किया गया। सत्यव्रत पुलिस चौकी क्षेत्र में तो समर्थकों ने उन्हें कंधों पर उठा लिया।
FIR में क्या हैं आरोप?
सत्यव्रत चौकी इंचार्ज आशीष तोमर की शिकायत पर जफर अली, उनके बेटे हैदर एडवोकेट, भाई ताहिर एडवोकेट, सरफराज एडवोकेट और 50-60 अज्ञात लोगों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 223(1) और 163 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। आरोप है कि बिना अनुमति के रोड शो निकाला गया और लोकसेवक द्वारा दिए गए आदेशों का उल्लंघन किया गया।
संभल हिंसा की पृष्ठभूमि
19 नवंबर को हिंदू पक्ष द्वारा चंदौसी कोर्ट में दावा किया गया कि संभल की शाही जामा मस्जिद, दरअसल श्री हरिहर मंदिर है। उसी दिन और 24 नवंबर को मस्जिद का सर्वे किया गया। सर्वे के दौरान भारी संख्या में लोगों ने विरोध किया और पुलिस पर पथराव और फायरिंग हुई। इस हिंसा में चार लोगों की मौत हुई और कई वाहन जला दिए गए।
पुलिस ने इस मामले में अब तक कुल 96 लोगों को जेल भेजा है, जिनमें तीन हत्यारोपी महिलाएं और मस्जिद के इंतजामिया सदर जफर अली एडवोकेट भी शामिल हैं। सपा सांसद बर्क और विधायक पुत्र सुहैल इकबाल सहित 40 नामजद और 2750 अज्ञात लोगों पर मुकदमा दर्ज हुआ था। 18 जून को SIT ने 1128 पन्नों की चार्जशीट कोर्ट में दाखिल की, जिसमें 23 लोगों के नाम शामिल हैं। हालांकि विधायक के बेटे का नाम चार्जशीट में नहीं है।
निष्कर्ष:
संभल हिंसा के बाद पहले से ही विवादों में घिरे जफर अली की जमानत के बाद निकाला गया जुलूस एक बार फिर कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े कर रहा है। अब देखना होगा कि प्रशासन इस नई FIR पर क्या कार्रवाई करता है और कोर्ट का अगला रुख क्या होता है।
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