सीज गाड़ी को निजी इस्तेमाल में लाने का आरोप: चांदपुर वन रेंज के अधिकारियों पर उठे सवाल
- bharatvarshsamaach
- Jul 18
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बिजनौर | भारतवर्ष समाचार ब्यूरो
बिजनौर जिले के चांदपुर वन रेंज से एक गंभीर मामला सामने आया है, जिसने वन विभाग की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। आरोप है कि एक सीज की गई प्राइवेट कार को वन विभाग के अधिकारी निजी उपयोग में ले रहे हैं, जबकि मामला फिलहाल न्यायालय में विचाराधीन है।
क्या है पूरा मामला?
चांदपुर थाना क्षेत्र के गांव रूपपुर निवासी मौ. तसीर की एक मारुति सिफ्ट गाड़ी को वन दरोगा सौरभ कुमार और वन रेंजर दुष्यंत कुमार ने कुछ समय पूर्व सीज किया था। आरोप था कि यह वाहन अवैध लकड़ी कटान में प्रयुक्त हुआ है।
पीड़ित तसीर ने गाड़ी को छुड़ाने के लिए माननीय न्यायालय में याचिका दाखिल की, जो फिलहाल विचाराधीन है। लेकिन इसी बीच, उन्होंने यह चौंकाने वाला दावा किया है कि सीज की गई गाड़ी वन विभाग के अधिकारी खुद इस्तेमाल कर रहे हैं।
वैदिक विहार में खड़ी मिली गाड़ी
तसीर का आरोप है कि आज उन्होंने अपनी वही गाड़ी बिजनौर शहर के वैदिक विहार क्षेत्र में वन दरोगा सौरभ कुमार के घर के बाहर खड़ी देखी। उन्होंने इसकी तत्काल सूचना स्थानीय पुलिस को दी और न्याय की मांग की।
पीड़ित का यह भी कहना है कि वन अधिकारी इस गाड़ी का लगातार व्यक्तिगत उपयोग कर रहे हैं, जबकि यह वन रेंज परिसर में सीज शुदा स्थिति में दर्शाई जा रही है। यह स्थिति न सिर्फ न्यायालय की अवमानना है, बल्कि वन विभाग की आंतरिक प्रक्रियाओं पर भी प्रश्न खड़े करती है।
पीड़ित की गुहार
मौ. तसीर का कहना है:"मेरी गाड़ी को अवैध कटान के झूठे आरोप में सीज किया गया था। कोर्ट में मामला लंबित है, लेकिन वन अधिकारी बिना अनुमति के उसे चला रहे हैं। आज मैंने खुद उसे उनके घर पर खड़ा देखा। मैं पुलिस और प्रशासन से निष्पक्ष जांच और सख्त कार्रवाई की मांग करता हूं।"
जिम्मेदार कौन?
अब बड़ा सवाल यही है कि जब तक कोर्ट में मामला लंबित है, तब तक किसी भी अधिकारी को सीज किए गए वाहन का उपयोग करने का अधिकार कैसे मिल सकता है? यदि गाड़ी सीज है, तो वह केवल कस्टडी में रहे, न कि किसी अधिकारी की निजी सुविधा में प्रयोग हो।
इस मामले ने वन विभाग की पारदर्शिता और जवाबदेही पर गंभीर प्रश्नचिन्ह खड़े कर दिए हैं। जरूरत है कि प्रशासन और उच्च अधिकारी इस मामले का संज्ञान लें, जांच कराएं और दोषियों पर कार्रवाई सुनिश्चित करें।
निष्कर्ष:
सीज वाहन के कथित दुरुपयोग का यह मामला केवल एक वाहन तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सवाल उठाता है कि कहीं विभागीय पदों का निजी लाभ के लिए दुरुपयोग तो नहीं हो रहा? ऐसे मामलों में निष्पक्ष जांच और जवाबदेही सुनिश्चित करना बेहद आवश्यक है।
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रिपोर्टर: शकील अहमद, बिजनौर
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