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झारखंड के जननायक शिबू सोरेन का निधन, प्रधानमंत्री मोदी ने दी अंतिम विदाई

  • bharatvarshsamaach
  • Aug 4
  • 2 min read
"दिशोम गुरु शिबू सोरेन को श्रद्धांजलि देते प्रधानमंत्री नरेंद्र
"दिशोम गुरु शिबू सोरेन को श्रद्धांजलि देते प्रधानमंत्री नरेंद्र
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भारतवर्ष समाचार |

लेखक: भारतवर्ष संवाददाता

स्थान: नई दिल्ली


झारखंड की राजनीति के भीष्म पितामह, जनजातीय चेतना के पुरोधा और झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के सह-संस्थापक शिबू सोरेन का निधन हो गया। दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल में उनका लंबा इलाज चल रहा था। सोमवार सुबह 8:56 बजे, 81 वर्ष की उम्र में उन्होंने अंतिम सांस ली। देश ने एक ऐसा नेता खो दिया, जिसने आदिवासी अस्मिता और अधिकार की लड़ाई को संसद तक पहुंचाया।


पीएम मोदी ने दी श्रद्धांजलि, शोक संतप्त परिवार से की मुलाकात

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज (4 अगस्त) सुबह सर गंगा राम अस्पताल पहुंचे और दिवंगत नेता को श्रद्धांजलि अर्पित की। इस दौरान उन्होंने शिबू सोरेन के परिवार से मुलाकात की और विशेष रूप से झारखंड के मुख्यमंत्री एवं शिबू सोरेन के पुत्र हेमंत सोरेन से संवेदना व्यक्त की।


PM मोदी ने अपने X (पूर्व ट्विटर) पोस्ट में लिखा

:"श्री शिबू सोरेन जी को श्रद्धांजलि देने गंगा राम अस्पताल गया। उनके परिवार से भी भेंट की। मेरी संवेदनाएं हेमंत जी, कल्पना जी और Dishom Guru के सभी प्रशंसकों के साथ हैं।"


आदिवासी सशक्तिकरण के प्रतीक थे शिबू सोरेन

प्रधानमंत्री ने एक अन्य पोस्ट में लिखा:"शिबू सोरेन जी ज़मीनी नेता थे। उन्होंने जीवनभर आदिवासी समुदायों, गरीबों और वंचितों के अधिकारों के लिए संघर्ष किया। उनके निधन से गहरा दुख हुआ है।"


एक दृष्टि: जीवन और संघर्ष

शिबू सोरेन का जन्म 11 जनवरी 1944 को रामगढ़ जिले के नेमरा गांव में हुआ था। संताल जनजाति से ताल्लुक रखने वाले सोरेन के जीवन में बचपन से ही संघर्ष रहा। उनके पिता की हत्या सूदखोरों के गुर्गों ने कर दी थी। इसी पीड़ा से प्रेरित होकर उन्होंने महज़ 18 साल की उम्र में 'संताल नवयुवक संघ' की स्थापना की।


1972 में ए.के. रॉय और बिनोद बिहारी महतो जैसे नेताओं के साथ मिलकर उन्होंने झारखंड मुक्ति मोर्चा की नींव रखी। यह आंदोलन झारखंड राज्य की मांग और आदिवासी अधिकारों की रक्षा के लिए खड़ा हुआ।


राजनीतिक सफर

  • मुख्यमंत्री: शिबू सोरेन तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री रहे।

    • पहली बार: 2 मार्च 2005 से 12 मार्च 2005 (10 दिन)

    • दूसरी बार: 2008 से 2009

    • तीसरी बार: 2009 से 2010


  • केंद्र सरकार में मंत्री: वे तीन बार केंद्रीय कोयला मंत्री भी रहे।

  • सांसद: वे लंबे समय तक दुमका से लोकसभा और राज्यसभा में प्रतिनिधित्व करते रहे।


विरासत और परिवार

शिबू सोरेन अपने पीछे पत्नी रूपी किस्कू, तीन बेटे—दुर्गा, हेमंत, और बसंत तथा एक बेटी अंजलि को छोड़ गए हैं।

  • दुर्गा सोरेन (स्वर्गीय) झारखंड विधानसभा के सदस्य रह चुके हैं।

  • बसंत सोरेन फिलहाल JMM युवा मोर्चा के अध्यक्ष और विधायक हैं।

  • हेमंत सोरेन वर्तमान में झारखंड के मुख्यमंत्री हैं और अपने पिता की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं।


निष्कर्ष

शिबू सोरेन केवल एक नाम नहीं, बल्कि जनजातीय चेतना का प्रतीक थे। उनका निधन झारखंड ही नहीं, पूरे भारत के लिए एक अपूरणीय क्षति है। पीएम मोदी की श्रद्धांजलि, राष्ट्रीय नेतृत्व द्वारा दी गई मान्यता और जनसाधारण की आंखों में छलकते आंसू इस बात का प्रमाण हैं कि 'दिशोम गुरु' आज भी लोगों के दिलों में जीवित हैं।


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