बस्तर दौरे पर अमित शाह का संदेश: आत्मसमर्पण और पुनर्वास नीति के साथ हथियार डाले
- bharatvarshsamaach
- Oct 4
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भारतवर्ष समाचार |
दिनांक : 04 अक्टूबर 2025
नई दिल्ली / बस्तर | केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने छत्तीसगढ़ के बस्तर दौरे के दौरान नक्सलियों को अंतिम चेतावनी दी है — सरकार ने 31 मार्च 2026 तक हथियार डालने का समय‑सीमा निर्धारित की है और उसके बाद हिंसा छोड़ने वालों को छोड़कर बचे लोगों के खिलाफ सख्त सैन्य कार्रवाई और सुरक्षा उपाय लागू किए जाएंगे। उन्होंने स्पष्ट कहा कि वर्तमान परिस्थितियों में नक्सलियों के साथ बातचीत की कोई संभावना नहीं है और केंद्र व राज्य दोनों मिलकर नक्सल प्रभावित इलाकों के सतत विकास के लिए प्रतिबद्ध हैं।
दौरे का भावनात्मक और राजनीतिक परिप्रेक्ष्य
शाह ने बस्तर में मां दंतेश्वरी के दर्शन कर सुरक्षा और शांति के लिए प्रार्थना की और फिर जगदलपुर में आयोजित ‘बस्तर दशहरा लोकोत्सव’ तथा ‘स्वदेशी मेला’ को संबोधित किया। इस सार्वजनिक मंच से उन्होंने स्थानीय समुदाय से अपील की कि वे अपने युवाओं को नक्सल व ऊर्जा‑हिंसा की राह छोड़ कर मुख्यधारा में लौटने के लिए प्रेरित करें; साथ ही उन्होंने यह सुनिश्चित करने का आश्वासन दिया कि जो लोग आत्मसमर्पण करेंगे उन्हें लाभकारी पुनर्वास योजनाओं का पूरा लाभ मिलेगा
क्या कहा — मुख्य संदेश और समय‑सीमा
अमित शाह ने भाषण में दो प्रमुख बातें दोहराईं: (1) नक्सलवाद को समाप्त करने के लिए 31 मार्च, 2026 तक की डेडलाइन, और (2) बातचीत की बजाय आत्मसमर्पण/रिहैबिलिटेशन की नीति। उन्होंने कहा कि सरकार ने आकर्षक आत्मसमर्पण और पुनर्वास नीति लागू की है और वही रास्ता खुले दिल से अपनाया जाए। जिनका कहना है कि “अब बात करने की क्या बात रह गई?” — यह शब्द उनके रुख की स्पष्टता दर्शाते हैं।
सुरक्षा कार्रवाइयों का इरादा और संदेश
शाह ने ये भी चेतावनी दी कि वे लोग जो हथियारों के बल पर इलाके की शांति भंग कर रहे हैं, उन्हें सुरक्षा बलों से कठोर जवाब मिलेगा। उन्होंने केंद्रीय और राज्य बलों के बीच समन्वय बढ़ाने और मोर्चों पर लगातार ऑपरेशन्स जारी रखने के संकेत दिए — खासकर उन इलाकों में जहां हालिया महीनों में महत्वपूर्ण सफलता (कई नक्सल नेताओं की मौत या आत्मसमर्पण) देखने को मिली है।
विकास का वादा — हिंसा के बाद का परिदृश्य
अमित शाह ने अपनी बातचीत में बार‑बार यह रेखांकित किया कि बस्तर और नक्सल प्रभावित क्षेत्रों का समावेशी विकास ही दीर्घकालिक समाधान है। उन्होंने केंद्र की विकास‑निधियों, बुनियादी ढांचे और कल्याण योजनाओं का हवाला देते हुए कहा कि पिछले दशक में छत्तीसगढ़ को बड़े पैमाने पर निवेश और परियोजनाएँ मिली हैं और 31 मार्च 2026 के बाद वे विकास की गति और तेज करेंगे ताकि वहाँ के लोग स्थायी विकास महसूस कर सकें।
स्थानीय‑स्तर का प्रभाव और राजनीतिक मायने
अमित शाह का यह सख्त रुख न सिर्फ सुरक्षा रणनीति का हिस्सा है बल्कि इसका राजनीतिक और सामाजिक संदेश भी है — केंद्र यह दिखाना चाहता है कि नक्सल‑विरोधी अभियान केवल सुरक्षा कार्रवाई नहीं बल्कि समग्र विकास और स्थानीय सहभागिता पर आधारित है। साथ ही, यह रवैया उन राज्यों और जिलों में प्रशासन की जवाबदेही और स्थानीय सुरक्षा‑तंत्र को मजबूत करने का इरादा दर्शाता है।
निष्कर्ष
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के बस्तर संबोधन ने सरकार की नक्सल‑नीति की दिशा स्पष्ट कर दी है: आत्मसमर्पण और पुनर्वास के विकल्प खुले हैं; अन्यथा 31 मार्च 2026 के बाद सुरक्षा‑ऑपरेशनों और कायदे के मुताबिक कार्रवाई तेज़ होगी। आज की अपील में सरकार ने विकास‑वचन के साथ‑साथ निर्णायक कार्रवाइयों का भी संकेत दिया है — एक ऐसा मिश्रण जो हिंसा के दौर से उभरने की चाह रखने वाले स्थानीय समुदायों के लिए निर्णायक हो सकता है।
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भारतवर्ष समाचार ब्यूरो
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